द्वितीय पहर की पूजा-
दूसरे पहर की पूजा रात 9 बजे से प्रारंभ होकर मध्यरात्रि 12 बजे तक चलती है। द्वितीय पहर की पूजा में भक्तों को भगवान भोलेनाथ को दही अर्पित करके जल से उनका अभिषेक करना चाहिए। ध्यान रखें कि इस पूजा में “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करना न भूलें। द्वितीय पहर की पूज करने से भक्तों के अर्थ यानी धन संबंधी कार्य सिद्ध होते हैं।
तृतीय पहर की पूजा-
शिवपुराण में तृतीय पहर की पूजा का समय मध्यरात्रि 12 बजे से लेकर 3 बजे तक बताया गया है। साथ ही पूजा के समय आदियोगी का गाय के घी से तिलक कर जलाभिषेक करने का विशेष विधान है। तृतीय पहर में शिवशंकर का ध्यान करने और शिव स्तुति का पाठ करने से आत्मा का परमात्मा से मिलन हो जाता है। वहीं इस पहर में शिव पूजन करने से कामेच्छा से मुक्ति मिलती है।
चतुर्थ पहर की पूजा-
चौथे यानी अंतिम पहर की पूजा ब्रह्ममुहूर्त में की जाती है। इस पूजा का समय विद्वानों के अनुसार 3 बजे से सुबह 6 बजे तक बताया गया है। इस ब्रह्ममुहूर्त में शिवशम्भु का ध्यान करने से आपका भविष्य उज्जवल बनता है और व्यक्ति भवसागर से तर जाता है। चौथे पहर की पूजा में आपको शिवलिंग पर शहद लगाने के बाद भोलेनाथ का जलाभिषेक करना चाहिए। साथ ही पूजा में शिव स्तुति का पाठ और शिव मन्त्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप करने से मोक्ष कि प्राप्ति होती है।