यह है पूरी कहानी
किशोरीलाल श्रीवास्तव के अनुसार 1807 में उनके बाबा के माता-पिता का देहांत हो गया। इस पर बालक सांवलेदास को बताया गया कि उनके माता-पिता जगन्नाथजी गए हैं और यदि वे दंडवत करते हुए वहां जाएं तो उन्हें वे मिल जाएंगे। 1816 में नौ साल की उम्र में वे दंडवत करते हुए जगन्नाथ पुरी ओडिशा के लिए रवाना हो गए। रास्ते में उन्हें एक साधु रामदास महाराज मिले, जिन्होंने उन्हें बताया कि उनके माता-पिता की मृत्यु हो गई है और वे इसी प्रकार दंडवत करते हुए सात बार जाएंगे, तो उनको चमत्कार दिखेगा। सांवलेदास लगातार पुरी की यात्रा करते रहे।ये भी पढ़ेंः rath yatra puri : मनोकामना पूर्ति श्री जगन्नाथ स्तोत्र
यहां होता है चमत्कार
कुलैथ में जगन्नाथजी मंदिर के पुजारी किशोरी लाल का कहना है हर साल जगन्नाथ पुरी में होने वाली रथ यात्रा साढ़े तीन घंटे के लिए रूकती है और उस वक्त वहां घोषणा की जाती है कि जगन्नाथजी, पुरी से ग्वालियर के कुलैथ चले गए हैं। किशोरी लाल का कहना है इस वक्त यहां चमत्कार होता है, कुलैथ की तीनों मूर्तियों की आकृति बदल जाती हैं। उनका बजन भी बढ़ जाता है। मुख्य पुजारी किशोरीलाल को भी इसका आभास होता है। इसके बाद कुलैथ मंदिर की मूर्ति को रथ में बिठाकर रथ खींचने की शुरूआत जाती है। कुलैथ और पुरी में दोनों ही मंदिरों में चावल से भरे घट के अटका ( मटका) चढ़ाए जाते हैं। हालांकि यहां मटका चढ़ाए जाने पर यह चार भाग में बंट जाता है। मान्यता है कि आज भी कुलैथ के जगन्नाथ मंदिर में ऐसा ही चमत्कार होता है।ग्वालियर जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर ग्राम कुलैथ में जगन्नाथ भगवान की रथयात्रा एवं मेला 20 व 21 जून को आयोजित किया जा रहा है। इसमें देश के कई हिस्सों से लोग शामिल होंगे। इससे पहले 12 जून को जगन्नाथ मंदिर के पट बंद होंगे और जगन्नाथ भगवान 7 दिन तक एकांतवास (क्वारंटाइन) करेंगे। 19 जून को रथयात्रा से एक दिन पहले सुबह 6 बजे पट खुलेंगे। 20 जून को शाम 4 बजे रथयात्रा निकाली जाएगी। उससे पहले जगन्नाथ जी की महाआरती कर चावल भरे घट प्रभु को भोग लगाकर समस्त श्रद्धालुओं को चावल का भोग वितरित किया जाएगा और रथयात्रा शुरू होगी। मेले में भजन संध्या, लोकगीत भी होंगे।
हर वर्ष होने वाली रथयात्रा एवं मेले में इस बार कई विशेष आयोजन होंगे। 10 एवं 11 जून को रामधुन का आयोजन महारूद्र सेवा मण्डल तारागंज वाले द्वारा किया जाएगा।
13 जून से श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। जिसके कथा व्यास अंकित शास्त्री होंगे। कथा का आयोजन ग्वालियर निवासी शकुंतला सुरेशचंद्र गुप्ता द्वारा किया जा रहा है।
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