हम इस बात का दावा कर सकते हैं कि आपने इससे पहले कभी भी कुतिया महारानी माता के बारे में नहीं सुना होगा। यहां के ककवारा गांव में रहने वाले सभी लोग कुतिया महारानी की पूरी श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना करते हैं। बता दें कि यह छोटा सा
मंदिर दो गांवों के बॉर्डर पर बनाया गया है। यहां के लोग बताते हैं कि मंदिर में आने वाले सभी श्रद्धालू कुतिया महारानी में अपनी पूरी श्रद्धा रखते हैं। इतना ही नहीं वे यहां रोज़ाना पूरे विधि-विधान से कुतिया महारानी की पूजा भी करते हैं।
गांव के इस मंदिर की स्थापना के पीछे लोगों ने बताया कि कई साल पहले यहां एक कुतिया की मौत हो गई थी। जिसे मंदिर वाली जगह पर ही दफना दिया गया था। लेकिन कुछ समय बाद यहां एक बड़ा पत्थर बन गया। जिसके बाद गांव के लोगों ने पत्थर के ऊपर एक कुतिया की प्रतिमा बनाकर इसके ऊपर लगवा दिया और पूजा करना शुरु कर दिया।
गांव वालों की मानें तो कुतिया महारानी अपने सभी भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। गांव वाले बताते हैं कि इस कुतिया की मौत भूख की वजह से हुई थी। इसके अलावा वह काफी दिनों से बीमार भी थी। बताते चलें कि कुतिया को कई जगहों पर धैर्य का प्रतीक बताया गया है।