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Puja Vidhi- घर के देवी देवता को ऐसे मनाएं

– यदि आप भी अपने कुलदेवता और देवी की पूजा करते हैं तो , आपको कुछ सावधानियों की जरूरत है। – कुलदेवी की पूजा का सर्वश्रेष्ठ और घरेलू तरीका जो अत्यंत सरल और सिद्ध माना जाता है।

Aug 18, 2023 / 01:58 pm

दीपेश तिवारी

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हिंदू परिवारों में सभी कुलों यानि परिवारों की एक कुलदेवी ध् कुलदेवता माने गए हैं। ऐसे में खास मौकों पर इनकी पूजा किए जाने का विधान है। इसके तहत घर में विवाह होने पर दुल्हन को कुलदेवी ध् कुलदेवता के दर्शन करवाएं जाते हैं। तो वहीं घर में संतान होने पर बच्चे को कुलदेवी / कुलदेवता के दर्शन करवाएं जाते हैं, इसके अलावा जब मुंडन संस्कार करवाया जाता है, तब भी कुल में नए सदस्य को कुलदेवी माता के दरबार में हाजरी लगानी होती है। वहीं कुछ लोग हर रोज कुलदेवी ध् कुलदेवता की पूजा करते हैं। लेकिन इसके बावजूद कई बार उन्हें व फल प्राप्त नहीं हो पाता, जिसके या तो वे हकदार होते हैं या जिसकी चाह उनके मन में होती है। ऐसा होने के पीछे कई कारणों को बताया जाता है। जिसमें सबसे पहला कारण ये है कि कुछ बातों की वे अनजाने में ही अव्हेलना कर देते हैं। तो चलिए आज जानते हैं कि कुल देवी की पूजा विधि क्या है…

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कुलदेवी पूजा व स्थापना-
जानकारों के अनुसार कई बार देखा गया है कि कुछ लोगों को कुलदेवी की पूजा फलित नहीं हो पाती , जिसके कारण ऐसे लोग सदैव ही संकटों से घिरे रहते हैं। जानकारों के अनुसार इसका कारण मुख्य रूप से ये है कि ऐसे लोगों को कुलदेवी की पूजा के सही तरीका का ज्ञान नहीं होता। आपको जानकारी दे दें कि कुलदेवी की पूजा बिलकुल आसान और बिना खर्चे की होती है।

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लेकिन, इस दौरान आपको बस चंद बातों का खास ध्यान रखना आवश्यक है। चलिजए जानते हैं कि पूजा के दौरान जातक को क्या करना चािहए और क्या नहीं करना चाहिए।

– मान्यता है कि घर में पूजा करने से ना केवल मन को शांति मिलती है , बल्कि घर के वातावरण में भी सुधार होता है। इसके साथ ही घर में कुलदेवता और कुलदेवी की पूजा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा भी दूर हो जाती है।
– यहां ये भी जान लें कि आपके घर के बड़े बुजुर्ग व आस पड़ोस की बुजुर्ग महिलाएं ये अवश्य जानती होंगी आपकी कुल देवी कौन सी हैं, या फिर आपके गोत्र के कुनबे के लोग ,चाचा ,ताऊ , बुआ को इस संबंध में पता होगा। ऐसे में आप इस संबंध में उन्हीं से पता कर सकते हैं। इसके लिए आप इनसे कुल देवी और उसके दिन , वार और तिथि के बारे में पता कर सकते हैं।

जब इस संबंध में पूरी जानकारी मिल जाती है तो इसके बाद 5-7 दिन दीपक लगाओं और फिर शुक्रवार से कुल देवी की पूजा शुरू करें, इसके बाद महीने में एक निश्चित दिन जो कुल देवी का हो, उस शाम को खीर बनाकर माता का भोग लगाएं।

– पूजा के लिए किसी भी शुभ दिन साबुत सुपारी खरीदें ( ध्यान रहे कि सुपारी खंडित ना हो ), फिर शुक्रवार की सुबह नित्य कर्म से पश्चात पूजा के स्थान पर एक सिक् का रखें , और उस पर सुपारी रख दें साथ ही इसके पास में घी का दीपक भी जलाएं।

– फिर चंद पवित्र जल की बुंदे सुपारी को अर्पित कीजिए, अब सुपारी के ऊपर मौली रख कर कहिए- हे माता जी वस्त्र अर्पित कर रहे हैं। अब सुपारी पर सिंदूर लगा कर कहें- माता जी कृपा श्रृंगार ग्रहण करें।

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इसके बाद हाथ जोड़ कर कहें – हे माता जी कोई भूल चूक हुई हो, तो अपना समझ कर माफ कीजिए। और हमारे घर पर स्थान ग्रहण कीजिए।

साथ ही देवी मां से कहें कि कृपा कर घर के सभी सदस्यों को आशीर्वाद दीजिए और मार्गदर्शन कीजिए और मुझे भी दर्शन देने की कृपा करें। इसके बाद सुपारी को कुलदेवी मानकर वहीं रहने दें।

– ध्यान रहे मान्यता है कि मौली चढ़ते ही सुपारी गौरी गणेश का रूप ले लेती है। जिसके बाद से अब हर रोज शाम को उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं साथ ही प्रार्थना भी करें कि हे माता जी दर्शन दीजिए। कहा जाता है कि इसके पश्चात माता प्रसन्न होकर या तो दर्शन देती हैं, या कोई रास्ता दिखातीं हैं।

ध्यान रखें कि कुलदेवी की पूजा करते समय हमेशा शुद्ध देसी घी का ही दीया जलाएं। साथ ही कुलदेवी की पूजा महीने में एक बार जरूर कीजिए, वह भी उनकी पूजा की तिथि पर।

वहीं कुल देवी से जुड़े दिनवार का पता न होने पर हर महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को सूर्यास्त के बाद पूजा करें। यहां ये भी जान लें कि खीर का जो भोग बनाया है , उसे केवल घर के सदस्य ही खाएं यानि किसी बाहर वाले को इसे न दें।
– इसके अलावा ये भी जान लें कि इस दिन दूध का दान नहीं करना है, अतरू इसे किसी देवता को भी न चढ़ाएं। माना जाता है कि यदि इस तरह आप कुलदेवी की पूजा करेंगे तो आपकी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होंगी।

जानकारों के अनुसार कुलदेवी की पूजा का यह सर्वश्रेष्ठ और घरेलू तरीका होने के साथ ही यह सरल और सिद्ध पूजा है। इस दौरान आंख बंद करके देवी मां की पूजा करें।

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