ऊँ श्रीकुबेराय नम: शिरसि अर्घ्यं समर्पयामि।
ऊँ श्रीकुबेराय नमः गन्धाक्षतं समर्पयामि।
ऊँश्रीकुबेराय नमः पुष्पं समर्पयामि।
ऊँ श्रीकुबेराय नमः धूपं घ्रापयामि।
ऊँ श्रीकुबेराय नमः दीपं दर्शयामि।
ऊँ श्रीकुबेराय नमः नैवेद्यं समर्पयामि।
ऊँ श्रीकुबेराय नम: आचमनीयं समर्पयामि।
ऊँ श्रीकुबेराय नमः ताम्बूलं समर्पयामि।
6. इस तरह पूजा कर बाएं हाथ में गंध, अक्षत पुष्प लेकर दाहिने हाथ से नीचे लिखे मंत्र पढ़ते हुए ऊँ श्रीकुबेराय नमः अनेन पूजनेन श्रीधनाध्यक्ष श्रीकुबेर प्रीयताम् नमो नमः मंत्र बोलकर तिजोरी पर छोड़ें।
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे, स्वामी जै यक्ष जै यक्ष कुबेर हरे।
शरण पड़े भगतों के,भण्डार कुबेर भरे॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥ शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,स्वामी भक्त कुबेर बड़े।
दैत्य दानव मानव से,कई-कई युद्ध लड़े॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥
योगिनी मंगल गावैं,सब जय जय कार करैं॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥ गदा त्रिशूल हाथ में,शस्त्र बहुत धरे, स्वामी शस्त्र बहुत धरे।
दुख भय संकट मोचन,धनुष टंकार करें॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥
मोहन भोग लगावैं,साथ में उड़द चने॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥ बल बुद्धि विद्या दाता,हम तेरी शरण पड़े, स्वामी हम तेरी शरण पड़े
अपने भक्त जनों के,सारे काम संवारे॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥
अगर कपूर की बाती,घी की जोत जले॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥ यक्ष कुबेर जी की आरती,जो कोई नर गावे, स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत प्रेमपाल स्वामी,मनवांछित फल पावे॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥
॥ इति श्री कुबेर आरती ॥