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Kuber mantra: आज इन मंत्रों से करिए कुबेर की पूजा, आपकी दरिद्रता होगी दूर, घर में नहीं होगी पैसे की कमी

Kuber mantra धनतेरस पर मां लक्ष्मी, कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। इस दिन इनके आशीर्वाद से व्यक्ति के कष्ट मिट जाते हैं। धनतेरस के दिन कुबेर के खास मंत्रों का जाप आपकी धन संबंधी समस्त समस्याओं से छुटकारा दिला सकता है । इससे दरिद्रता दूर होती है और साल भर तक पैसे की कमी नहीं होती। आइये जानते हैं श्रीकुबेर की संपूर्ण पूजा विधि, मंत्र और आरती..

Nov 10, 2023 / 06:58 pm

Pravin Pandey

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धनतेरस पर श्रीकुबेर की संपूर्ण पूजा विधि

कुबेर पूजा मंत्र
1. ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये
धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥

2. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥
3. ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥


श्री कुबेर पूजा विधि
1. आपके पास श्री कुबेर की मूर्ति है तो उसको पूजास्थल या शुद्ध स्थान पर चौकी पर रख लें, अगर मूर्ति नहीं है तो तिजोरी या गहनों के बक्से को श्री कुबेर के रूप में लेकर पूजा कीजिए। तिजोरी, बक्से आदि की पूजा से पहले सिन्दूर से उस पर स्वस्तिक का चिह्न बनाना चाहिए और उस पर ‘मौली’ बाँधना चाहिए।
2. इसके बाद कुबेर का ध्यान कर मनुज ब्राह्य विमान स्थितम्, गरुण रत्न निभं निधि नायकम्, शिव सखं मुकटादि विभूषितम्, वर गदे दधतं भजे तुन्दिलम्। मंत्र का जाप करें।
3. कुबेरजी का ध्यान कर तिजोरी के सामने आवाहन मुद्रा दिखाकर आवाहयामि देव! त्वामिहायाहि कृपां कुरु, कोशं वर्द्धय नित्यं त्वं परि रक्ष सुरेश्वर, श्रीकुबेर देवं आवाहयामि मंत्र बोलकर श्रीकुबेर का आवाहन करें।
4. पांच पुष्प अंजलि में लेकर तिजोरी के पास छोड़ें और नाना रत्न समायुक्तं कार्त्त स्वर विभूषितम्, आसनं देव देवेश! प्रीत्यर्थं प्रति गृह्यताम्, श्रीकुबेरदेवाय आसनार्थे पंञ्च पुष्पाणि समर्पयामि मंत्र पढ़ें।
5. इसके बाद चंदन, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य से कुबेरजी की पूजन करें और साथ-साथ ये मंत्र बोलें
ऊँ श्रीकुबेराय नम: पादयो: पाद्यं समर्पयामि।
ऊँ श्रीकुबेराय नम: शिरसि अर्घ्यं समर्पयामि।
ऊँ श्रीकुबेराय नमः गन्धाक्षतं समर्पयामि।
ऊँश्रीकुबेराय नमः पुष्पं समर्पयामि।
ऊँ श्रीकुबेराय नमः धूपं घ्रापयामि।
ऊँ श्रीकुबेराय नमः दीपं दर्शयामि।
ऊँ श्रीकुबेराय नमः नैवेद्यं समर्पयामि।
ऊँ श्रीकुबेराय नम: आचमनीयं समर्पयामि।
ऊँ श्रीकुबेराय नमः ताम्बूलं समर्पयामि।
6. इस तरह पूजा कर बाएं हाथ में गंध, अक्षत पुष्प लेकर दाहिने हाथ से नीचे लिखे मंत्र पढ़ते हुए ऊँ श्रीकुबेराय नमः अनेन पूजनेन श्रीधनाध्यक्ष श्रीकुबेर प्रीयताम् नमो नमः मंत्र बोलकर तिजोरी पर छोड़ें।
श्री कुबेरजी की आरती
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे, स्वामी जै यक्ष जै यक्ष कुबेर हरे।
शरण पड़े भगतों के,भण्डार कुबेर भरे॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥

शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,स्वामी भक्त कुबेर बड़े।
दैत्य दानव मानव से,कई-कई युद्ध लड़े॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥
स्वर्ण सिंहासन बैठे,सिर पर छत्र फिरे, स्वामी सिर पर छत्र फिरे।
योगिनी मंगल गावैं,सब जय जय कार करैं॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥

गदा त्रिशूल हाथ में,शस्त्र बहुत धरे, स्वामी शस्त्र बहुत धरे।
दुख भय संकट मोचन,धनुष टंकार करें॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥
भाँति भाँति के व्यंजन बहुत बने,स्वामी व्यंजन बहुत बने।
मोहन भोग लगावैं,साथ में उड़द चने॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥

बल बुद्धि विद्या दाता,हम तेरी शरण पड़े, स्वामी हम तेरी शरण पड़े
अपने भक्त जनों के,सारे काम संवारे॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥
मुकुट मणी की शोभा,मोतियन हार गले, स्वामी मोतियन हार गले।
अगर कपूर की बाती,घी की जोत जले॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥

यक्ष कुबेर जी की आरती,जो कोई नर गावे, स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत प्रेमपाल स्वामी,मनवांछित फल पावे॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥
॥ इति श्री कुबेर आरती ॥

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