धर्म ग्रंथों के अनुसार इस दिन कन्याओं को भोजन कराने से घर में सुख, शांति और संपन्नता आती है। ये कन्याएं 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष से कम आयु की हों तो अच्छा माना जाता है। मान्यता है कि इससे भक्त को कभी धन की कमी नहीं होती और उसका जीवन उन्नतशील रहता है। हर तरह के दोष खत्म हो जाते हैं।
इस दिन होगा कन्या पूजन
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि शुरू हो गई है, जिसका समापन 11 अक्टूबर को होगा। 12 अक्टूबर को माता दुर्गा की मूर्ति का विसर्जन होगा। नवरात्रि में आमतौर पर नवमी को कन्याओं का पूजन करके उन्हें भोजन कराया जाता है। लेकिन कुछ श्रद्धालु अष्टमी को भी कन्या पूजन करते हैं। ये भी पढ़ेंः
Maha Ashtami: कन्या पूजन के बिना नवरात्रि पूजा अधूरी, जानें महत्व, महाष्टमी महानवमी की डेट और कन्या भोज का शुभ मुहूर्त पहले देवी को भोग फिर कन्या पूजन (Devi Puja Before Kanya Puja)
इसके लिए पहले देवी को नैवेद्य लगाएं और भेंट करने वाली चीजें भी पहले देवी को चढ़ाएं। इसके बाद कन्या भोज और पूजन करें। कन्या भोजन न करवा पाएं तो भोजन बनाने का कच्चा सामान जैसे चावल, आटा, सब्जी और फल कन्या के घर जाकर उन्हें भेंट कर सकते हैं।
कन्या पूजन से इन समस्याओं से मिलता है छुटकारा (Mahanavami Remedies)
विवाह में देरी का निदान
यदि शादी में देरी हो रही है तो पांच साल की कन्या को खाना खिलाकर श्रृंगार का सामान भेंट करें।
धन संबंधी समस्या
पैसों की कमी से परेशान हैं तो चार साल की कन्या को खीर खिलाएं। इसके बाद पीले कपड़े और दक्षिणा दें। शत्रु बाधा और काम में रूकावटें
नौ साल की तीन कन्याओं को भोजन सामग्री और कपड़े दें।
पारिवारिक क्लेश
तीन और दस साल की कन्याओं को मिठाई दें। बेरोजगारी होगी दूर, मिलेगा रोजगार
छह साल की कन्या को छाता और कपड़े भेंट करें। सभी समस्याओं का निवारण
पांच से 10 साल की कन्याओं को भोजन सामग्री देकर दूध, पानी या फलों का रस भेंट करें। सौन्दर्य सामग्री भी दें।