इसी कड़ी में हिंदू नव वर्ष विक्रम संवत 2080 की पहली एकादशी जिसे कामदा एकादशी के नाम से जाना है, यह पड़ने वाली है। चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की यह एकादशी दुख दारिद्र का नाश करने वाली और सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली है। लेकिन एकादशी तिथि की शुरुआत के समय के कारण आमलोगों में कुछ कंफ्यूजन है, जिसे दूर कर रहे हैं प्रयागराज के आचार्य पं. प्रदीप पाण्डेय …
Kamda Ekadashi Muhurt Aur Paran Samay: पं. प्रदीप पाण्डेय के अनुसार चैत्र शुक्ल एकादशी तिथि का प्रारंभ एक अप्रैल को 1.58 एएम से हो रहा है, और यह तिति 2 अप्रैल 4.19 एएम को संपन्न हो रही है। दोनों ही दिन उदयातिथि मिल रही है, दो दिन एकादशी होने से व्रतियों में कुछ कंफ्यूजन है।
लेकिन शास्त्रों के अनुसार कभी एकादशी को लेकर ऐसी स्थिति उत्पन्न हो तो पहले दिन गृहस्थ और स्मार्तजनों को एकादशी का व्रत रखना चाहिए और दूसरे दिन साधु संत और वैष्णव संप्रदाय के लोगों को एकादशी व्रत रखना चाहिए। इसलिए गृहस्थजनों के लिए एकादशी व्रत अगले महीने अप्रैल की पहली तारीख और दो अप्रैल को साधु संतों के लिए व्रत का दिन है।
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इस दिन करें पारण
ऐसे लोग यानी गृहस्थ जो एक अप्रैल को कामदा एकादशी व्रत रखेंगे, उनके लिए पारण का समय हरिवासर के बाद रहेगा। दो अप्रैल को हरि वासर सुबह 10.50 बजे संपन्न हो रहा है। इसलिए गृहस्थजन दोपहर 1.39 बजे से 4.19 बजे के बीच पारण कर सकते हैं।
इस दिन करें पारण
ऐसे लोग यानी गृहस्थ जो एक अप्रैल को कामदा एकादशी व्रत रखेंगे, उनके लिए पारण का समय हरिवासर के बाद रहेगा। दो अप्रैल को हरि वासर सुबह 10.50 बजे संपन्न हो रहा है। इसलिए गृहस्थजन दोपहर 1.39 बजे से 4.19 बजे के बीच पारण कर सकते हैं।
वहीं साधु संत जो दो अप्रैल को कामदा एकादशी व्रत रखेंगे, उनके लिए पारण का समय तीन अप्रैल को 6.11 एएम से 6.24 एएम के बीच रहेगा (द्वादशी तिथि तीन अप्रैल को 6.24 एएम पर संपन्न हो रही है) इसलिए त्रयोदशी शुरू होने से पहले पारण कर लेना उचित रहेगा।
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ऊँ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर शक्ति मुक्ति पाता।। ऊँ जय एकादशी..।।
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी।
गण गौरव देनी माता, शास्त्रों में वरनी।। ऊँ जया एकादशी..।।
ऊँ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर शक्ति मुक्ति पाता।। ऊँ जय एकादशी..।।
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी।
गण गौरव देनी माता, शास्त्रों में वरनी।। ऊँ जया एकादशी..।।
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्लपक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ऊँ जय एकादशी…।।
पौष के कृष्णपक्ष की सफला नामक है,
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनंद अधिक रहै।। ऊँ जय एकादशी…।। ये भी पढ़ेंः Kamda Ekadashi 2023: वैष्णव कामदा एकादशी दो अप्रैल को, गृहस्थ एक अप्रैल को रखेंगे व्रत, ये है पारण समय
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्ल पक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै।। ऊँ जय एकादशी…।।
विजया फागुन कृष्णपक्ष में, शुक्ला आमलकी।
पापमोचनी कृष्णपक्ष में, चैत्र महाबलि की।। ऊँ जय एकादशी…।।
चैत्र शुक्ल पक्ष में नाम कामदा, धन देने वाली।
नाम बरुथिनी कृष्ण पक्ष में, वैसाख माह वाली।। ऊँ जय एकादशी…।।
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी, अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी।
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ऊँ जय एकादशी…।।
योगिनी नाम आषाढ़ में जानो, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी।। ऊँ जय एकादशी…।।
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा, आनंद से रहिए।।ऊँ जय एकादशी…।।
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इंद्रा आश्विन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ऊँ जय एकादशी…।।
पापांकुशा है शुक्लपक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी।। ऊँ जय एकादशी…।।
देवोत्थानी शुक्ल पक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया।।ऊँ जय एकादशी…।।
परमा कृष्ण पक्ष में होती, जन मंगल करनी।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी, दुख दारिद्र हरनी।। ऊँ जय एकादशी…।।
जो कोई आरती करे एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ऊँ जय एकादशी…।।