समाज में मान प्रतिष्ठा बढ़ती है। धन संबंधी सभी परेशानियां दूर होती है। लेकिन कई बार इस योग के होने पर भी शुभ फल प्राप्त नहीं हो पाते हैं। इसका कारण आपके कुंडली के किसी ग्रह की खराब स्थिति या फिर चंद्रमा या बृहस्पति के कमजोर होने से होता है।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार कुण्डली में गजकेसरी योग होने पर गज के समान शक्ति व धन दौलत प्राप्त होती है। सभी योगों की भांति इस योग का भी सभी लोगों को अच्छा फल नहीं मिलता है। किसी जातक को गजकेसरी योग का बहुत प्रचुर मात्रा में फल मिलता है तो अन्य लोगों को सामान्य फल ही प्राप्त हो पाता है।
MUST READ : 25 दिन के लिए बुध हुए अस्त, जानिये राशियों पर असर
इसका कारण ये है कि इस योग का फल भाव, राशि, नक्षत्र और की गुरु की पोजीशन के आधार पर मिलता है। वहीं जब गुरु व चन्द्र बलवती होकर गजकेसरी योग का निर्माण कर रहें हो और साथ केमुद्रम योग भी बन रहा हो तो गजकेसरी योग निष्फल रहता है।
ऐसे बनता है कुंडली में गजकेसरी योग
पं. शर्मा के मुताबिक कुंडली में गुरु और चंद्रमा के मजबूत होने से गज केसरी योग बनता है। अगर कुंडली में चंद्रमा और बृहस्पति केंद्र में एक दूसरे की तरफ दृष्टि कर के बैठे हों तब यह शक्तिशाली योग बनता है। लेकिन अगर आपकी कुंडली में बृहस्पति कमजोर हो या फिर चंद्रमा कमजोर हो तब इस योग का फल नहीं मिल पाता है।
वहीं यदि गज केसरी योग कुंडली के आठवें भाव या दूसरे भाव में है तो यह उतना प्रभावशाली नहीं होता है। लेकिन अगर कुंडली के केंद्र में है या फिर एक त्रिकोण बना रहा है तो इसका विशेष फायदा जातक को मिलेगा। इसी के साथ कुंडली में उच्च का चंद्रमा वृषभ राशि में होने से और उच्च का बृहस्पति कर्क राशि में होने से इस योग के अच्छे फल प्राप्त होते हैं।
गजकेसरी योग: ऐसे समझें… केन्द्रे देवगुरौ लग्नाच्चन्द्राद्वा शुभदृग्युते ।
नीचास्तारिगृहैर्हीने योगोऽयं गजकेसरी
गजकेसरीसञ्जातस्तेजस्वी धनवान् भवेत् ।
मेधावी गुणसम्पन्नो राजप्रियकरो नरः।। : यदि बृहस्पति चंद्रमा से केंद्र भावों में स्थित है और किसी क्रूर ग्रह से संबंध नहीं रखता है तो गज-केसरी योग बनता है।
: हालांकि अगर कोई अशुभ ग्रह से संबंध होता है तो इस योग से मिलने वाले फलों में कमी आएगी।
: जन्म कुंडली के अनुसार यदि किसी का जन्म गज-केसरी योग में हुआ होता है तो वह दयालु प्रवृत्ति का माना जाता है और वह दूसरों के प्रति स्नेह व विनम्रता का भाव रखता है।
: ऐसे जातकों के मन में अधिकांश वेद और पुराण में आपकी गहरी रुचि रहती है और इनका धार्मिक ज्ञान अच्छा होने की वजह से लोग इनसे मार्गदर्शन लेते हैं।
: ऐसे जातकों के पास पास चल और अचल संपत्ति के रूप में बहुत सारा धन होने की संभावना होती है। वहीं ऐसे जातकों के संबंध उच्च वर्ग के लोगों के साथ होते हैं।
: ऐसे जातक जीवन में सभी तरह की भौतिक वस्तुओं का सुख प्राप्त करते हैं। वहीं सरकारी सेवाओं में इन्हें उच्च पद की प्राप्ति भी हो सकती है।
: ऋषि पराशर के अनुसार गजकेसरी योग के फलस्वरूप व्यक्ति कुशल, राजसी सुखों को भोगने वाला, उच्च पद प्राप्त करने वाला, वाद-विवाद व भाषण कला में निपुण होता है।
: गजकेसरी योग हाथी और सिंह के संयोग से बनता है। गज में अभिमान रहित अपार शक्ति और सिंह में दूरदर्शी बुद्धि के साथ-साथ, चुस्ती-फुर्ती, लक्ष्य के प्रति सजगता व अदम्य साहस होता है। इसी प्रकार जिसकी कुण्डली गजकेसरी योग बलवती होता है, वह अपनी सूझबूझ, दूरदर्शी सोंच, अदम्य साहस के बल पर अच्छें-अच्छों को निरूत्तर कर देता है। समय के साथ चलकर सफलता के झंडे गाड़ता है।
: जिस भाव में गुरु व चन्द्र बैठकर गजकेसरी योग का निर्माण करते है, उस भाव से सम्बन्धित शुभ फलों की प्राप्ति भी होती है। गजकेसरी योग जब चतुर्थ व दशम भाव में बनता है तो व्यक्ति अपने व्यवसाय व करियर में ऊंचे मुकाम हासिल करता है।
गज केसरी योग को मजबूत करने के उपाय
माना जाता है कि भगवान शिव की अराधना करने से इस योग का विशेष फायदा मिलता है। वहीं ये भी मान्यता है कि पीला पुखराज या मोती पहनना ऐसे जातकों के लिए अधिकांशत: लाभकारी साबित होता है ( लेकिन पंडित शर्मा के अनुसार कोई भी रत्न सदैव किसी ज्योतिष के जानकार की सलाह के बाद ही धारण करें )।
MUST READ : सप्ताह के दिनों में वार के अनुसार लगाएं माथे का तिलक, मिलेगा शुभ फल
जानिये कुंडली किस भाव में दिखाता है क्या असर… 1. पहले/लग्न भाव में असर…लग्न में यह योग बने तो जातक कोई नेता या अभिनेता होता है। ऐसे जातक को देखने के लिए जनता उतावली हो जाती है। उसका रहन सहन राजाओं जैसा होता है। यह योग जातक को गलत रास्ते पर भी जाने से रोकता है। जातक ईश्वर को मानने वाला होता है।