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विचार मंथन : ऋद्धि-सिद्धियों की अलौकिकता के पीछे पड़ना कुसंस्कार और दुर्बलता के चिन्ह हैं- स्वामी विवेकानंद

daily thought vichar manthan : ऋद्धि-सिद्धियों की अलौकिकता के पीछे पड़ना कुसंस्कार और दुर्बलता के चिन्ह हैं- स्वामी विवेकानंद

Jul 20, 2019 / 05:42 pm

Shyam

daily thought vichar manthan swami vivekananda

विचार मंथन : ऋद्धि-सिद्धियों की अलौकिकता के पीछे पड़ना कुसंस्कार और दुर्बलता के चिन्ह हैं- स्वामी विवेकानंद

नास्तिकों में कुछ न कुछ तो जीवन होता है

मैं आप लोगों को घोर नास्तिक देखना पसंद करूंगा। लेकिन कुसंस्कारों से भरे मूर्ख देखना न चाहूंगा। क्योंकि नास्तिकों में कुछ न कुछ तो जीवन होता है। उनके सुधार की तो आशा है क्योंकि वे मुर्दे नहीं होते। लेकिन अगर मस्तिष्क में कुसंस्कार घुस जाता है तो वह बिल्कुल बेकार हो जाता है, दिमाग बिल्कुल फिर जाता है।

 

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मैं निर्भीक साहसी लोगों को चाहता हूं

मृत्यु के कीड़े उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। तुम्हें इनका परित्याग करना होगा। मैं निर्भीक साहसी लोगों को चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि लोगों में ताजा खून हो, स्नायुओं में तेजी हो, पेशियां लोहे की तरह सख्त हों। मस्तिष्क को बेकार और कमजोर बनाने वाले भावों की आवश्यकता नहीं है, इन्हें छोड़ दो। सब तरह के गुप्त भावों की ओर दृष्टि डालना छोड़ दो। धर्म में कोई गुप्त भाव नहीं। ऋद्धि-सिद्धियों की अलौकिकता के पीछे पड़ना कुसंस्कार और दुर्बलता के चिन्ह हैं। वे अवनति और मृत्यु के चिन्ह हैं। इसलिए उनसे सदा सावधान रहो।

तेजस्वी बनो और खुद अपने पैरों पर खड़े हों मैं संन्यासी हूं और गत चौदह वर्षों से पैदल ही चारों तरफ घूमता फिरता हूं। मैं आपसे सच-सच कहता हूं कि इस तरह के गुप्त चमत्कार कहीं पर भी नहीं है। इन सब बुरे संस्कारों के पीछे कभी न दौड़ो। तुम्हारे और तुम्हारी संपूर्ण जाति के लिए इससे तो नास्तिक होना अच्छा है किंतु इस तरह कुसंस्कार पूर्ण होना अवनति और मृत्यु का कारण है।

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