scriptविचार मंथन : जो भी करो वह उच्चकोटि का आदर्श युक्त होना चाहिए- संत कबीर | daily thought vichar manthan sant kabir jayanti 2019 | Patrika News
धर्म और अध्यात्म

विचार मंथन : जो भी करो वह उच्चकोटि का आदर्श युक्त होना चाहिए- संत कबीर

कबीर जयंती 17 जून 2019

Jun 17, 2019 / 10:17 am

Shyam

kabir jayanti 2019

विचार मंथन : जो भी करो वह उच्चकोटि का आदर्श युक्त होना चाहिए- संत कबीर

एक व्यक्ति कबीर के पास गया और बोला- मेरी शिक्षा तो समाप्त हो गई। अब मेरे मन में दो बातें आती हैं, एक यह कि विवाह करके गृहस्थ जीवन यापन करूं या संन्यास धारण करूं? इन दोनों में से मेरे लिए क्या अच्छा रहेगा यह बताइए? कबीर ने कहा- दोनों ही बातें अच्छी है जो भी करना हो वह उच्चकोटि का करना चाहिए। उस व्यक्ति ने पूछा उच्चकोटि का करना चाहिए।” उस व्यक्ति ने पूछा-उच्चकोटि का कैसे है? कबीर ने कहा- किसी दिन प्रत्यक्ष देखकर बतायेंगे वह व्यक्ति रोज उत्तर प्रतीक्षा में कबीर के पास आने लगा।

 

भगवान पर चढ़े फूल का कर लें यह उपाय, चारो ओर से अचानक बढ़ जायेगी इनकम

 

एक दिन कबीर दिन के बारह बजे सूत बुन रहे थे। खुली जगह में प्रकाश काफी था फिर भी कबीर ने अपनी धर्म पत्नी को दीपक लाने का आदेश दिया। वह तुरन्त जलाकर लाई और उनके पास रख गई। दीपक जलता रहा वे सूत बुनते रहे।

 

सायंकाल को उस व्यक्ति को लेकर कबीर एक पहाड़ी पर गए। जहां काफी ऊंचाई पर एक बहुत वृद्ध साधु कुटी बनाकर रहते थे। कबीर ने साधु को आवाज दी। महाराज आपसे कुछ जरूरी काम है कृपया नीचे आइए। बूढ़ा बीमार साधु मुश्किल से इतनी ऊंचाई से उतर कर नीचे आया। कबीर ने पूछा आपकी आयु कितनी है यह जानने के लिए नीचे बुलाया है। साधु ने कहा अस्सी बरस। यह कह कर वह फिर से ऊपर चढ़ा। बड़ी कठिनाई से कुटी में पहुंचा। कबीर ने फिर आवाज दी और नीचे बुलाया।

 

हनुमान जी की इस इच्छा पूर्ति महा सुखदायी स्तुति पाठ करने से पूरन हो जाते हैं सार काम

 

साधु फिर आया, उससे पूछा-आप यहां पर कितने दिन से निवास करते है? उनने बताया चालीस वर्ष से। फिर जब वह कुटी में पहुंचे तो तीसरी बार फिर उन्हें इसी प्रकार बुलाया और पूछा-आपके सब दांत उखड़ गए या नहीं? उसने उत्तर दिया। आधे उखड़ गए। तीसरी बार उत्तर देकर वह ऊपर जाने लगा तब इतने चढ़ने उतरने से साधु की साँस फूलने लगी, पांव कांपने लगे। वह बहुत अधिक थक गया था फिर भी उसे क्रोध तनिक भी न था।

 

अब कबीर अपने साथी समेत घर लौटे तो साथी ने अपने प्रश्न का उत्तर पूछा। उनने कहा तुम्हारे प्रश्न के उत्तर में यह दोनों घटनायें उपस्थित है। यदि गृहस्थ बनाना हो तो ऐसा बनाना चाहिये जैसे मैं पत्नी को मैंने अपने स्नेह और सद्व्यवहार से ऐसा आज्ञाकारी बनाया है कि उसे दिन में भी दीपक जलाने की मेरी आज्ञा अनुचित नहीं मालूम पड़ती और साधु बनना हो तो ऐसा बनना चाहिए कि कोई कितना ही परेशान करे क्रोध का नाम भी न आवे।

Hindi News / Astrology and Spirituality / Religion and Spirituality / विचार मंथन : जो भी करो वह उच्चकोटि का आदर्श युक्त होना चाहिए- संत कबीर

ट्रेंडिंग वीडियो