विचार मंथन : सत्य को केवल बुद्धि के द्वारा जानने से ही काम नहीं चलेगा वरन उसके लिए आंतरिक अनुराग होना चाहिए- आचार्य श्रीराम शर्मा
श्रम की पूजा
आलस्य परमेश्वर के दिये हुए हाथ पैरों का अपमान है। अगर कोई अन्धा हो तो उसे रोटी तो दे देनी चाहिये लेकिन उसको भी सात आठ घण्टे काम तो दूंगा, उसे रुई लड़ने का काम दे दूंगा। जब एक हाथ थक जाए तो दूसरा हाथ काम कर सके, वह काम उससे कराकर उन्हें रोटी देना चाहिये। इससे श्रम की पूजा होती है।
दान को बोया हुआ बीज समझिये
इसलिए जिसे आप दान देते हैं, वह कुछ समाज सेवा कुछ उपयोगी काम करता है या नहीं, यह भी आपको देखना चाहिये उस दान को बोया हुआ बीज समझिये। समाज को उसका पूरा पूरा मुआवज़ा मिले यह जरूरी है। अगर दाता अपने दान के विषय में ऐसी दृष्टि नहीं रखेगा तो वह दान के बदले अधर्म होगा। वह उपेक्षा या लापरवाही का काम होगा।
इन सिद्ध मंदिरों में मंत्र जप, पूजा और तंत्र साधना करने से हो जाती है एक साथ सैकड़ों कामना पूरी
बिना विचारे दान, धर्म करने से अनर्थ होता है
चाहे जिसे कुछ न कुछ देने से, भोजन कराने, बिना विचारे दान, धर्म करने से अनर्थ होता है। अगर कोई गोर क्षण या गोशाला को कुछ देना चाहता है, तो उसको यह देखना चाहिये कि क्या उस गोशाला से बड़ी ऐन वाली गायें निकलती दिखाई देती हैं? क्या वहां गायों की औलाद सुधारने की भी कोशिश होती है? क्या बच्चों को गाय का सुन्दर और स्वच्छ दूध मिलता है ? क्या वहां से अच्छे-अच्छे नटवे खेती के लिये मिलते है? क्या गो-रक्षण और गोवर्धन की वैज्ञानिक खोजबीन वहाँ होती हैं? जहां मरियल गायों की भरमार है, बेहद गन्दगी से सारी हवा बसा रखी है, इस तरह से पिंजरा पोल रखना दान धर्म नहीं है।
सावन में इस रुद्राक्ष को पहनते ही शिव कृपा के साथ होती है मनोकामना पूरी
हिन्दुस्तान में दानवृत्ति
किसी संस्था या व्यक्ति को जो कुछ आप देते हैं, उसमें समाज को कहां तक लाभ होता है यह आपको देखना ही चाहिये। हिन्दुस्तान में दानवृत्ति में विचार न होने के कारण समाज, समृद्ध और सुन्दर दीखने के बजाय आज निस्तेज, नाटा और रोगी दिखाई देता है। आप पैसे फेंकते हैं, बोते नहीं है। इससे न इहलोक है न परलोक, यह आप न भूले।
***********