पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।
महामंत्र
3. या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नसस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
ये मां का महामंत्र है जिसे पूजा पाठ के दौरान जपना होता है।
4. मां चंद्रघंटा का बीज मंत्र है- ‘ऐं श्रीं शक्तयै नम:’
नवरात्रि के तीसरे दिन ऐसे करें मां चंद्रघंटा की पूजा
वाराणसी के पुरोहित पं. शिवम तिवारी के अनुसार देवी मां के इस स्वरूप की पूजा मुख्य रूप से दो मंत्रों से की जाती है। माना जाता है कि भक्तों को इनकी पूजा करते समय इनके मंत्र का जाप कम से कम 11 बार करना चाहिए। इसके लिए नीचे लिखी विधि अपनाएं..
मंत्र: 1- पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥
मंत्र: 2- या देवी सर्वभूतेषु मां चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ 1. नवरात्रि के तीसरे दिन माता की चौकी पर मां चंद्रघंटा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
2. गंगा जल या गोमूत्र से पूजा स्थल को शुद्ध करने के बाद चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें और फिर पूजन का संकल्प लें।
3. फिर वैदिक और दुर्गा सप्तशती के मंत्रों से मां चंद्रघंटा सहित सभी स्थापित देवी-देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें। इसके तहत आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य,धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि अर्पित करें।
4. पूजा के समय भूरे या ग्रे रंग की कोई वस्तु मां को अर्पित करें और इसी रंग के कपड़े पहनें, मां चंद्रघंटा का वाहन सिंह है इसलिए सुनहले रंग का कपड़ा पहनना भी शुभ माना जाता है।
5. साथ ही भोग में मां को दूध की मिठाई और खीर आदि अर्पित करें, माता चंद्रघंटा को प्रसन्न करने के लिए शहद भी अर्पित करना चाहिए।
6. पूजा के दौरान ऊपर लिखे मंत्रों का जप करने रहें।
7. अब प्रसाद बांटें और पूजन संपन्न करें। कन्याओं को खीर, हलवा और मिठाई खिलाएं, इससे माता प्रसन्न होती हैं और दुख हरती हैं।
8. साथ ही मन ही मन में माता से प्रार्थना करें कि हे मां! आप की कृपा हम पर सदैव बनी रहे और हमारे दुःखों का नाश हो।