यह भी मान्यता है कि अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन में एक बालक की पूजा करनी चाहिए। धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि भगवान शिव के वैराग्य को खत्म करने के लिए जब भगवान विष्णु ने माता सती के शव को सुदर्शन से काटा तो उसके हिस्से जगह-जगह गिरे और शक्तिपीठ बन गए। इन स्थानों की रक्षा के लिए भगवान शिव ने भैरव की नियुक्ति की थी। इसलिए माना जाता है कि नव दुर्गा पूजा के दौरान कन्या पूजन के समय एक बालक की भी पूजा की जाए।
नवरात्रि में कन्या पूजन विधि प्रयागराज के आचार्य प्रदीप पाण्डेय का कहना है कि नवरात्रि में कन्या पूजन के लिए यह विधि अपनानी चाहिए।
2. कन्या पूजा के लिए दो साल से दस साल की लड़कियों को आमंत्रित करें।
3. सभी कन्याओं के पैर धोएं, रोली, कुमकुम, टीका, अक्षत लगाकर उन्हें मौली बांधें और उनका स्वागत करें।
4. अब कन्याओं और बालक की आरती उतारें और यथाशक्ति उनको द्रव्य अर्पित कर प्रसन्न करें।
5. सभी को पूड़ी, चना और हलवा खाने के लिए दें।
6. यथा शक्ति भेंट वगैरह दें।
7. मां की स्तुति करते हुए गलती के लिए क्षमा मांगें, कन्याओं और बालक का पैर छुएं, उनका आशीर्वाद लें।
कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त चैत्र शुक्ल अष्टमी की तिथि 28 मार्च शाम 7.02 बजे से शुरू हो रही है, यह तिथि 29 मार्च रात 9.07 बजे संपन्न हो रही है। उदयातिथि में महाष्टमी का व्रत 29 मार्च को रखा जाएगा। इसलिए 29 मार्च को ही कन्या पूजन होगा। महाष्टमी तिथि पर दो शुभ योग शोभन और रवि योग भी बन रहे हैं। इससे इस दिन कन्या पूजा फलदायी होगी।