मां देती हैं गोद भरने का आशीर्वाद
जिन लोगों को संतान प्राप्ति में बाधा आती है या आ रही हो, उन्हें मां के इस स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। माना जाता है कि आदिशक्ति का यह स्वरूप संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी करने वाला स्वरूप है। स्कंदमाता की पूजा में कुमार कार्तिकेय का होना भी जरूरी बताया गया है।
ऐसा है स्कंदमाता का स्वरूप
मां के इस स्वरूप की बात करें तो, इनकी चार भुजाएं हैं और इन्होंने अपनी दाएं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद अर्थात् कार्तिकेय को गोद में लिया हुआ है। इसी तरफ वाली निचली भुजा के हाथ में कमल का फूल लिया हुआ है। बाईं ओर की ऊपर वाली भुजा में वरद मुद्रा है और नीचे दूसरा श्वेत कमल का फूल लिया हुआ है। ये सिंह की सवारी करती हैं। क्योंकि यह सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं, इसीलिए इनके चारों ओर सूर्य सदृश अलौकिक तेजोमय मंडल सा आभा बिखेरता दिखाई देता है। सर्वदा कमल के आसन पर विराजे रहने के कारण इन्हें पद्मासना कहकर भी पुकारा जाता है।
पूजा सामग्री की थाली में याद से रख लें ये सामान
स्कंदमाता की पूजा में धनुष बाण अर्पित करने का विशेष महत्व माना गया है। इन्हें सुहाग का सामान जैसे, लाल चुनरी, सिंदूर, नेलपेंट, बिंदी, मेहंदी, लाल चूडिय़ां, लिपस्टिक इत्यादि अर्पित करना चाहिए। नवरात्रि के पांचवें दिन लाल वस्त्र में सुहाग की सभी सामग्री, अक्षत समेत लाल फूल मां को अर्पित करने चाहिएं। ऐसा करने से महिलाओं का सौभाग्य जागता है, उन्हें संतान की प्राप्ति होती है। इनकी पूजा-अर्चना भी मां दुर्गा के अन्य स्वरूपों की तरह ही की जाती है।
यह है स्कंदमाता का ध्यानमंत्र
‘ मां के इस स्वरूप का ध्यान मंत्र यह है।
सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।’
मां को पीली वस्तुएं हैं प्रिय, केले का भोग जरूर लगाएं
स्कंदमाता को भोग स्वरूप पीली वस्तुएं प्रिय हैं। लेकिन मां के इस स्वरूप पर केला फल जरूर अर्पित करें। केसर डालकर पीली खीर बनाएं और उसका भी भोग लगा सकते हैं।