मां दुर्गा बनाएंगी बिगड़े काम
ज्योतिष शास्त्र में दुर्गा सप्तशती पाठ के फायदों के बारे में बताया गया है। कहते हैं कि इसे पढऩे मात्र से ही व्यक्ति का बड़े से बड़ा संकट टल जाता है, कष्ट दूर हो जाते हैं। यही कारण है कि इसे महत्वपूर्ण माना गया है। लेकिन ज्योतिषियों का कहना है कि दुर्गा सप्तशती का पाठ करने का भी विधि-विधान है। यदि पूर्ण विधि के साथ दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाए, तो निचिश्त ही सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
दुर्गा सप्तशती पाठ के दौरान रखें इन बातों का ध्यान
– दुर्गा सप्तशती पाठ के दौरान शुद्धता का खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए। स्नान आदि के बाद साफ वस्त्र धारण करें। कुशा या ऊन के आसन पर बैठकर ये पाठ करना चाहिए। इसके साथ ही, पाठ कर रहे हैं तो कभी भी अपने हाथों से पैरों को न छुएं।
– दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू करने से पहले पुस्तक को लाल रंग के कपड़े पर रख लें और उस पर फूल-अक्षत चढ़ाएं। इसके बाद उसकी पूजा करें फिर पाठ करना शुरू करें।
– नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती पाठ से पहले और बाद में नर्वाण मंत्र ‘ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे’ का जाप करना चाहिए।
– ज्योतिष के मुताबिक दुर्गा सप्तशती पाठ में एक-एक शब्द का उच्चारण साफ होना चाहिए। शब्द को तोड़-मरोड़ कर न पढ़ें। बात करते समय इस तरह करें कि एक-एक शब्द आपको सही से सुनाई दे।
– कहते हैं कि पाठ के दौरान जम्हाई नहीं लेनी चाहिए। ये आलस को दर्शाता है। इसलिए इसे पढ़ते वक्त मन को शांत और स्थिर रखने के लिए कहा जाता है। तभी इसका सही फल मिलता है।
– अगर किसी दिन समय के कारण दुर्गा सप्तशती का पाठ पूरा नहीं कर पा रहे हैं, तो सप्तशती के आखिर में दिए गए कुंंजिका स्रोत का पाठ कर। देवी से पूजा स्वीकार करने की प्रार्थना करें।
– पाठ खत्म हो जाने के बाद आखिर में मां दुर्गा से अपनी किसी भी तरह की भूल-चूक के लिए क्षमा प्रार्थना जरूर कर लें।
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