जिमाऊ सारी रात चट्टक चांदनी की रात
फुल्ला भरी है परात एक फुल्लों टूटी गयो ने
संजा माता रुसगी (2) संजा बाई का लाड़ा जी
लुगाड़ो लाया जाड़ा जी
लाता गोट किनारी का संजा बाई तो ओल पोल
लुगड़ो लाया झोल पोल.. (3) संजा के पीछे मेंदी को झाड़, मेंदी को झाड़
एक एक पत्ती जुठी जाय, जुठी जाय
मामो लायो जरी की साड़ी मामी लाइ मेथी
मेथी से तो माथो दुखे घी का घेवर भावे (4) अणि कुड़ा (कुआ) पे कुण कुण पोथी बाचेरे भम्मरिया
अणि कुड़ा पे चांद सूरज वीरों पोथी बांचे रे भम्मरिया
की म्हाने झमक सी लाडी लइदो रे भम्मरिया झमक सी लाडी ने ओढ्ता नई आवे, पेरता नी आवे
संजा ननद ने बुलई दो रे भम्मरिया संजा ननद को ऊंचो नाक, नीचो नाक
अटलक टिकी,वटलक टिकी
(5) छोटी सी गाडी लुढ़कती जाय, लुडकती जाय
जिमें बैठ्या संजा बाई, संजा बाई घाघरो घमकाता जाय
चुड़लो चमकता जाय बाई जी की नथनी झोला खाय
बाईजी म्हने झुलों सिखाई दो।
कहां से लाउ भई हरो हरो गोबर किसान घरे जऊं
व्हां से लाउं ले भई संजा हरो हरो गोबर,
संजा तो मांगे हरो पीला फुलड़ा
कहां से लाऊं भई
माली घरे जऊ व्हां से लऊं
ले भई संजा हरा पीला फुलड़ा। संजा तो मांगे
दूध पतासा कहाँ से लउं भई
हलवाई घरे जाऊ व्हां से लाउं
के भई संजा दूध पतासा
(7)
सात सहेल्यां जी, अणि जीरा की साग बनाई
सात सहेल्यां जी साग बनाई ने वीरा जी ने मेलि
सात साहेल्या जी विराजी के म्हणे खाटी खाटी लागे
सात सहेल्यां जी वाई खीर मैं भैस ने दे दी
सात सहेल्यां जी
सात सहेल्यां जी अणि दूध की खीर बनाई
सात सहेल्यां जी खीर बनाई ने वीरा जी ने मेली
सात सहेल्यां जी वीरा जी के म्हणे मीठी मीठी लागे
सात सहेल्यां जी ,
सात सहेल्यां जी चुन्नड़ ओडी पाणी चाल्या
सात सहेल्यां जी पाणी चाल्या काटों भाग्यो
सात सहेल्यां जी काटो भाग्यो खून निकल्यो
सात सहेल्यां जी खून निकल्यो चुनर से पूछ्यो
सात सहेल्यां जी
सात सहेल्यां जी वाई चुनर में धोबी ने दी दी
सात सहेल्यां जी धोबी इ लई म्हने धोई धोई दे दी
सात सहेल्यां जी वाई चुनर में रंगरेज ने दे दी
सात सहेल्यां जी
सैट सहेल्यां जी। (8) काजल टिकी लो भई काजल टिकी लो
काजल टिकी लई ने म्हारी संजा बाई ने दो
संजा बाई को सासरो सांगा में पदम्पधारया बड़ी अजमेर
राम थारी चाकरी गुलाम म्हाको देस
पधारो आपका देस….। (9) मैं गोबर ले के सड़क पे खड़ी
मुझे बतलादो संजा की गली… अजी वई हे गली
अजी वई हे गली जहां पीपल का पेड़ अनार की कली।
मैं फुलवा ले के सड़क पे खड़ी..
की थारी बाई मारेगा के कुटेगा के डेली में डचोकेगा
के चांद गयो गुजरात के हिरन का बड़ा बड़ा दांत
के छोरा छोरी डरपेगा
के छोरा छोरी डरपेगा।।