VIDEO रतलाम में आरएसएस के स्वयं सेवकों ने घर में रहकर किया यह कार्य
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सम्पूर्ण देश में अपनी शाखाओं में भारत रत्न डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती उल्लासपूर्ण तरीके से मनाता रहा है। लॉक डाउन का पालन करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाएं अपने अपने घरों में परिवार में ही लग रही है। जिसे परिवार शाखा कहा जाता है।
VIDEO रतलाम में आरएसएस के स्वयं सेवकों ने घर में रहकर किया यह कार्य
रतलाम. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सम्पूर्ण देश में अपनी शाखाओं में भारत रत्न डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती उल्लासपूर्ण तरीके से मनाता रहा है। लॉक डाउन का पालन करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाएं अपने अपने घरों में परिवार में ही लग रही है। जिसे परिवार शाखा कहा जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन 2 आगामी 3 मई तक घोषित किया है। इसके चलते आरएसएस के स्वयं सेवक घर में रहकर ही आयोजन में भाग ले रहे है।
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बाबा साहेब अंबेडकर की जयंती के उपलक्ष में जिले की लगभग 3000 परिवार शाखाओं में डॉ. भीमराव अंबेडकर को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त संघचालक डॉ. प्रकाश शास्त्री का VIDEO संदेश सभी परिवार शाखाओं में प्रसारित किया गया। VIDEO के माध्यम से प्रसारित अपने बौद्धिक में प्रान्त संघचालक डॉ. प्रकाश शास्त्री ने डॉ.अम्बेडकर के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महात्मा बुद्ध के बाद बाबा साहब ऐसे महामानव थे जिन्होंने समाज को समरस करने के अपने विचार को धरातल पर उतारने के लिए सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।
VIDEO सावधान रतलाम! एक ही परिवार के 9 सदस्यों को किया क्वारेंटाइनचंद्र के समान मोहक, ऋषि के समान ज्ञानी डॉ. शास्त्री ने कहा कि डॉ. अंबेडकर का व्यक्तित्व सूर्य के समान तेजस्वी, चंद्र के समान मोहक, ऋषि के समान ज्ञानी और संत के समान शांत था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी स्थापना के समय से ही बाबा साहब के विचारों का अनुसरण करते हुए जातिविहीन समरसता युक्त भारत के निर्माण के लिए कार्य कर रहा है, इसीलिए संघ अपने स्वयंसेवको के माध्यम से प्रत्येक ग्राम में एक मंदिर, एक जलाशय और एक शमशान अर्थात भेदभाव रहित समाज के अभियान में लगा हुआ है।
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समरसता का वातावरण डॉ. शास्त्री ने बाबा साहब के दर्शन को विस्तारपूर्वक समझाते हुए उनके तीन सिद्धान्तों का उल्लेख किया, जिसमे व्यक्तिगत स्वतंत्रता, समता और बंधुता शामिल है। डॉ.अम्बेडकर की दृष्टि में पूंजीवादी व्यवस्था में व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अतिरेक होने पर समता समाप्त हो जाती है। उसी प्रकार साम्यवादी व्यवस्था में समता का अतिरेक होने पर व्यक्तिगत स्वतंत्रता का लोप हो जाता है इसलिए बंधुता का भाव होने से स्वतंत्रता और समता का संतुलन बना रहता है। इस बंधुता के भाव से ही संघ अपनी शाखाओं में संस्कार युक्त स्वयंसेवक तैयार करता है जो समाज में चारों ओर समरसता का वातावरण तैयार करते हैं। इस अवसर पर अपने ही घरों में होने वाली परिवार शाखाओं ने वर्तमान समय में भारत पर आए संकट का सामना अनुशासनबद्ध होकर करने का संकल्प लिया। परिवार शाखाओं में परिवार के सभी सदस्यों ने वीडियो संदेश को ध्यानपूर्वक सुना।