आज है महावीर स्वामी जयंती, नवकार महामंत्र का Ratlam में हो रहा जप
आज के युग में विषमताएं जब अपने चरम में है, भोग और भौतिकता का प्रचंड बोलबाला है और पैसे की आपाधापी में मानव मन उलझा है, तब भगवान महावीर का दर्शन और सिद्धांत वैज्ञानिकता और व्यावहारिकता को पूरी मुस्तैदी से लिए हुए है। विश्वभर के मानव भगवान महावीर के सिद्धांतों का अनुशीलन करने लग जाए, तो हर समस्या का समाधान निकल सकता है। आज है महावीर जयंती है, इस अवसर पर शहर में किस तरह नवकार महामंत्र का जप हो रहा है यहां देखें VIDEO
Mahavir Jayanti 2020 : जानें कुंए के ताजे जल से भगवान महावीर स्वामी का क्यों किया जाता है अभिषेक,Mahavir Jayanti 2020 : जानें कुंए के ताजे जल से भगवान महावीर स्वामी का क्यों किया जाता है अभिषेक,Mahavir Jayanti 2020 : जानें कुंए के ताजे जल से भगवान महावीर स्वामी का क्यों किया जाता है अभिषेक
रतलाम। आज के युग में विषमताएं जब अपने चरम में है, भोग और भौतिकता का प्रचंड बोलबाला है और पैसे की आपाधापी में मानव मन उलझा है, तब भगवान महावीर का दर्शन और सिद्धांत वैज्ञानिकता और व्यावहारिकता को पूरी मुस्तैदी से लिए हुए है। विश्वभर के मानव भगवान महावीर के सिद्धांतों का अनुशीलन करने लग जाए, तो हर समस्या का समाधान निकल सकता है। आज है महावीर जयंती है, इस अवसर पर शहर में किस तरह नवकार महामंत्र का जप हो रहा है यहां देखें VIDEO
href="https://www.patrika.com/ratlam-news/innocent-children-broke-their-dreams-did-this-big-job-for-the-india-5969575/" target="_blank" rel="noopener">मासूम बच्चों ने तोड़ लिए अपनी आंखों में संजोए सपने, देश के लिए किया यह बड़ा काम
यह बात जिनशासन गौरव, प्रज्ञानिधि, परम श्रद्वेय आचार्यप्रवर 1008 श्री विजयराजजी मसा ने महावीर जयंती पर धर्मानुरागियों को दिए संदेश में कही। सिलावटो का वास रतलाम स्थित नवकार भवन में विराजित आचार्य प्रवर ने कहा कि देश और दुनिया में कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते भगवान महावीर के सिद्धांतों की प्रायोगिकता का प्रभाव ही आज अधिक है। यदि रात्रि भोजन का त्याग, मांसाहार का त्याग, कच्ची वनस्पतियों का त्याग तथा जल, जंगल और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता मानव समझ ले, तो इन प्राकृतिक आपदाओं से बचा जा सकता है।
VIDEO रतलाम कलेक्टर ने दी किसानों को सौगात, तो एसपी ने किया यह कामसाढे 12 वर्षों तक कठोर तप-जप आचार्य प्रवर ने कहा कि तीर्थंकर महावीर का बाहय और आंतरिक दोनो तरह का व्यक्तित्व नयनाभिराम और मनोभिराम था। राजकुल में जन्म लेने के बाद भी भर यौवन में ऋद्धि-सिद्धि का परित्याग कर वे अकिंचन अणगार बन गए थे। अणगार जीवन में साढे 12 वर्षों तक कठोर तप-जप, इन्द्रिय संयम और कषाय विजेता बनकर केवल ज्ञान की प्राप्ति कर उन्होंने चतुर्विघ धर्म संघ की स्थापना की। ग्रहस्थ जीवन का त्याग न करने वालों को उन्होंने श्रावक-श्राविका संघ का दर्जा प्रदान किया और जो ग्रह त्यागी बन सकते थे, उन्हें श्रमण-श्रमणी संघ का दर्जा प्रदान किया। उन्होंने कहा कि आज सारा संसार प्रभु महावीर के अपूर्व ज्ञान की आत्मा का अनुभव कर रहा है। इस दौर में जैनों को भगवान महावीर के आदर्शों को मानना ही नहीं चाहिए, अपितु उन्हें अपने जीवन में चरितार्थ भी करना चाहिए। इससे ही सचमुच में हम सब महावीर जन्म कल्याणक दिवस को मनाने के हकदार बन सकेंगे।
इंदौर की तर्ज पर रतलाम में स्वास्थ्य विभाग की महिलाओं से अभद्रताकोरोना वायरस ने पूरे विश्व को सिखाई जैन क्रियाएं-महासतीजी महावीर जयंती पर गौतम भवन में विराजित तरूण तपस्विनी, परम विदुषी महासतीश्री वैभवश्रीजी मसा ने अपने संदेश में कहा कि अमेरिकन हो, रूसी हो, अफगानिस्तानी हो या जापानी हो, सभी मानवता के गुणों को अपनाकर जैन बन सकते है। कोरोना वायरस ने पूरे विश्व को जैनों की क्रियाएं सिखा दी है। खुले मुंह नहीं बोलना,अपने स्वयं के दोनो हाथ जोडकर सामने वाले का स्वागत करना जैसी क्रियाएं इसका प्रमाण है। जैन साधु जिस प्रकार पैदल विहार करते है, उसकी प्रकार अधिकांश शहरों में इन दिनों पैदल चलने का कार्य हो रहा है, इसका कारण दुपहिए और चार पहिया वाहनों से निकलने पर रोक लगना भी है।
रेल कर्मचारी के बेटों ने कहा, पापा हम भी सेवा करें, फिर घर में बना दिए 100 मास्कबच्चें अपने आप दूर रहेंगे उन्होंने कहा कि आज के अभिभावक अपने बच्चों को मोबाइल,टीवी, लेपटाप आदि से दूर रहने को कहते है, लेकिन वे स्वयं इनका उपयोग धडल्ले से करते है। इससे बच्चों पर उनकी प्रेरणा कारगर नहीं होती। यदि स्वयं इन वस्तुओं से दूर रहेंगे, तो ही बच्चें अपने आप दूर रहेंगे। दुनिया में आचरण युक्त विचारों का प्रभाव ही स्थायी होता है, मात्र विचार कुछ समय के लिए ही अपना असर दिखा सकते है। भगवान महावीर के अहिंसा, अपरिग्रह,अनेकांत सिद्धांतों का स्मरण कराते हुए महासतीजी ने कहा कि मन में अहिंसा की गंगा हो, विचारों में अनेकांत की यमुना हो और व्यवहार में अपरिग्रह सरस्वती हो तो जीवन त्रिवेणी संगम बन सकता है। भगवान महावीर के जन्म कल्याणक पर संकीर्ण दायरों को दर-किनार करे, विशाल दायरे को अपनाए और दायरे-दिल से दरिया-दिल बनने का संकल्प लेंगे, तो मानव जीवन सार्थक हो जाएगा।