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असल में इन दिनों भगवान के मंदिर भक्तों के लिए बंद है। मंदिर में सुबह व शाम को पुजारी आकर नित्य आरती करते है व कुछ देर रुककर चले जाते है। जिन भक्तों ने पूर्व से ही चोला चढ़ाने के लिए राशि जमा की हुई है, उनकी तरफ से नियमित रुप से चोला चढ़ता है। इसलिए जब इस बार चोला चढ़ाया गया तो कोरोना थीम को ध्यान रखा गया। इसके लिए भगवान के मुंह को नाक के उपर तक मास्क तक ढ़का हुआ है। साथ में जो रिद्धी सिद्धी है उनको इससे मुक्त रखा गया है।
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पहली बार भगवान ने पहना मास्कबता दे कि जब से मंदिर बना है, तब से अनेक बार तरह तरह से चोले मंदिर में भगवान को चढ़ाए गए। इसमे प्रमुख रुप से शिवरात्रि के दौरान भांग का चोला हो या जन्मअष्टमी पर माखन का चोला हो, या फिर नागपंचमी पर शेषनाग का रुप भगवान गणपति को दिया गया हो, लेकिन भगवान को पहली बार मास्क पहनाया गया है। मंदिर समिति के नागल के अनुसार चोला पहनाकर मात्र यह संदेश देने का प्रयास किया गया है कि भगवान चाहते है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने मुंह पर मास्क पहनकर रखें, क्योंकि यह समय की मांग है। इतना ही नहीं, घर से निकले तो हाथ को बार बार सैनिटाईजर करें। इसके अलावा घर में रहते हुए भी हाथ को साबुन से लगातार धोएं। इस बारे में समिति सदस्य नागल ने आमजन से अपील की, वे मास्क का प्रयोग किए बगैर घर से बाहर नहीं आए।
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