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जैन संत ने कहा इनसे बचो, इसे अपनाओ

रतलाम। पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के अन्तर्गत आचार्यश्री विजयराज महाराज की निश्रा में नवकार भवन में स्व आलोचना कर संवत्सरी पर पर्व मनाया। इस मौके पर महाराजश्री ने कहा कि क्रोध चांडाल है, महाकाल है। इससे बचो, क्षमा को अपनाओ। क्षमा के रस में जो भी रमेगा अथवा स्वाद लेगा, वह दिव्य अनुभूति करेगा। क्षमा आत्मा की क्षमता है। इससे जीवन क्षमतावान, ममतावान और समतावान बन जाता है।

रतलामSep 20, 2023 / 11:45 am

Gourishankar Jodha

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आचार्यश्री ने कहा कि आज सबको क्षमा को धारण करने का संकल्प लेना चाहिए, क्योंकि संकल्प का कोई विकल्प नहीं होता। रतलाम में संकल्प की शक्ति का ही प्रताप है कि मासक्षमण, अट्ठाई, तेेले, बेले और सिद्धी तप की कई आराधनाएं हो रही है। इस वर्ष सभी धर्म स्थानों में तपस्या का ठाठ लगा हुआ है, जिसकी जितनी अनुमोदना की जाए, वह कम होगी। इस दौरान बडी संख्या में श्रावक-श्राविकागण उपस्थित रहे।
अपनी आलोचना से जीवन शुद्ध-विशुद्ध बनेगा
उपाध्याय प्रवरश्री जितेश मुनि ने कहा कि अपने पांव का कांटा जैसे दूसरों के सहयोग से अच्छे से निकलता है, वैसे ही गुरुदेव से सहयोग से अंदर के दोषों को दूर करने का अवसर मिला है। इसका भरपूर लाभ उठाए और इमानदारी से अपनी आलोचना करे। इससे जीवन शुद्ध-विशुद्ध बनेगा।
तप-तपस्या की लगी लड़ी
आचार्यश्री से जयमंगल मुनि एवं महासती ख्यातिश्री महाराज ने 8-8 उपवास, संजय मेहता ने 32 उपवास, किरण बेन पिरोदिया ने 9 उपवास, युवा संघ के महामंत्री हर्ष पटवा ने 8 उपवास एवं प्रांजल पटवा ने 6 उपवास तथा अनिता रांका ने सिद्धी तप की लडी में 6 उपवास के प्रत्याख्यान लिए। कई आराधकों ने उपवास, बेले और तेले के प्रत्याख्यान भी लिए।

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