हनुमानजी का वनवास खत्म, उत्साह से मंदिर में विराजे श्री मेहंदी कुई बालाजी महाराज
रतलाम। आज तक हमने सिर्फ पुरुषोत्तम राम के वनवास की कथा सुनी, टीवी सीरियलों में देखी जिनमें मर्यादा पुरुषोत्तम राम माता सीताजी और भाई लक्ष्मणजी के साथ वनवास गए थे और 14 वर्ष पश्चात अयोध्या लौटे थे, लेकिन यह सुनने में अजीब लगेगा कि भगवान श्रीराम के परम भक्त हनुमानजी ने भी वनवास काटा। जी हां, रतलाम के प्राचीन और प्रसिद्ध सिद्ध क्षेत्र श्री मेहंदी कुई बालाजा महाराज मंदिर कुछ वर्ष पूर्व जर्जर हो जाने से अचानक क्षतिग्रस्त हो गया था, जिसके चलते श्री मेहंदी कुई बालाजा महाराज को मंदिर से जाना पड़ा और पास स्थित बगीचे में पटरे के शेड में बनाए गए पवित्र स्थान पर रहना (वनवास) काटना पड़ा। शनिवार को वसंत पंचमी के पावन अवसर पर श्री मेहंदी कुई बालाजा महाराज की अष्टकोणीय सफेद मार्बल से बने मंदिर में पुर्नस्थापना की गई।
जन-जन की आस्था के केंद्र श्री मेहंदी कुई बालाजी महाराज जय -जयकार की गूंज के बीच शनिवार को नवनिर्मित अष्टकोणीय मंदिर में बिराज गए। इसके साथ ही श्री मेहंदी कुई बालाजी मंदिर में आयोजित तीन दिवसीय प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव की पूर्णाहुति हो गई। अंतिम दिवस असंख्य भक्तों ने कोरोना प्रोटोकाल का पालन कर कतारबद्ध होकर बालाजी महाराज के दर्शन वंदन कर उनका आशीर्वाद लिया।
तीन दिवसीय प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव के अंतिम दिन शहर विधायक चेतन्य काश्यप, प्रदीप उपाध्याय, अनिल पुरोहित, प्रवीण सोनी, मुन्नालाल शर्मा, पवन सोमानी सहित कई गणमान्यजन उपस्थित हुए। प्राण-प्रतिष्ठा से पूर्व ब्रम्ह मुहूर्त में बगीचे में विराजित श्री मेहंदी कुई बालाजी महाराज की प्रतिमा को ले जाया गया। इसके बाद मुख्य यजमान आदित्य डागा एवं टीना डागा ने अन्य भक्तों के साथ अभिषेक कर अभिजीत मुहूर्त में प्राण-प्रतिष्ठा की। इस दौरान मुख्य यजमान दंपत्ति ने अन्य भक्तों के साथ यज्ञ कुंड में आहुतिया देकर पूर्णाहुति की।
अन्य मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा श्री मेहंदी कुई बालाजी जनकल्याण न्यास के अध्यक्ष बाबूलाल चौधरी एवं संजय दलाल ने बताया कि बसंत पंचमी के पावन अवसर पर सुबह मंदिर परिसर में ही विराजित भेरूजी महाराज की यजमान अमित सिसोदिया द्वारा अन्य मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा की गई। प्रथम चोला का लाभ मान्यतापं जयकिरण शर्मा व अतुल गोरेचा ने लिया। भोग के लाभार्थी राघव डागा, आराध्य डागा, प्रथम चंवर के बंटी सोनी ,अनूप पंडित एवं कमलेश नायक रहे। प्रसादी का लाभ बद्रीलाल पुरोहित ,सुशांत पटेल, डॉ मुकेश माली एवं रमेशचंद्र रतनलाल परमार ने लिया। महोत्सव के दौरान न्यास के बाबूलाल चौधरी, संजय दलाल, शैलेन्द्र डागा, हिम्मतसिंह राजपुरोहित, पुरुषोत्तम पोरवाल, पुनीत भारद्वाज, दीपक जोशी, दीपक पटेल, गोपाल सैनी, नरेंद्र देवड़ा, जयपालसिंह चौहान, बालकृष्ण माहेश्वरी, गोपाल मारोठिया, मुकेश शर्मा ,मनीष शर्मा, मंगलसिह सिसोदिया, विजय शर्मा, प्रकाश अग्रवाल, प्रकाश मजावदिया आदि उपस्थित रहे।
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