ज्योतिषी रावल ने बताया कि भगवान गणपति की स्थापना के लिए 13 सितंबर को अनेक मुहूर्त है, लेकिन सबसे बेहतर सुबह 11 बजकर 8 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 34 मिनट तक का है। भगवान गणपति की पूजन में सामग्री का भी विशेष महत्व है। अगर सही पूजन सामग्री रहे, तो भगवान को आपके लिए प्रसन्न होने से कोई भी नहीं रोक सकता है।
ये रखें पूजन सामग्री भगवान गणपति की पूजन में गणेश स्थापना से पहले पूजा की सारी सामग्री एकत्र कर लें। पूजा के लिए चौकी, लाल कपड़ा, गणेश प्रतिमा, जल कलश, पंचामृत, लाल कपड़ा, रोली, अक्षत, कलावा जनेऊ, गंगाजलु, सुपारी, इलाइची, नारियल, चांदी का वर्क, सुपारी, लौंग पंचमेवा, घी कपूर आदि एकत्र कर लें।
ये है पूजन के पूर्व स्थापना की विधि सुबह पूजन के पूर्व स्नान के बाद गहरे लाल रंग के वस्त्र धारण करें। पूर्व या उत्तर सही दिशा का चुनाव करके चौकी स्थापित करें। भगवान गणेश की स्थापना से पहले उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं। उसके बाद उन्हें गंगाजल से स्नान कराने के बाद चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर गणेश प्रतिमा को स्थापित करें। रिद्धि-सिद्धि के रूप में प्रतिमा के दोनों ओर एक-एक सुपारी भी रखें।
ये है पूजन का आसान तरीका भगवान की स्थापना के बाद गणेश जी को सिंदूर लगाएं के साथ चांदी का वर्क लगाएं। इसके बाद जनेऊ, लाल पुष्प, दूब, मोदक, नारियल आदि सामग्री भगवान को अर्पित करें।
इस मंत्र का करें जप भगवान को पूजा की सभी सामग्री चढ़ाने के बाद धूप, दीप और अगरबत्ती से भगवान की आरती करें। इसके बाद ‘वक्रतुंड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे दे सर्व कार्येषु सर्वदा।। मंत्र का जप करें।
ये लगाए भगवान को प्रतिदिन भोग भगवान की दस दिन तक पूजा करें। गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक जब तक भगवान गणेश घर में रहते हैं तब तक उनका एक परिवार की सदस्य की तरह ध्यान रखा जाता है। गणपति को दिन में तीन बार भोग लगाना अनिवार्य होता है। वैसे गणपति को मोदक का भोग रोजाना लगाना अनिवार्य होता है।
इस आरती से होता है लाभ जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥ एक दंत दयावंत चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे मूसे की सवारी ॥ अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
हार चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा ॥ दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥