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रतलाम

बाल श्रमिक रखा है, तो पहले ये पढ़ लें

बाल श्रमिक रखने पर हो सकती है २ साल की कैद या 50 हजार जुर्माना

रतलामDec 12, 2017 / 05:05 pm

harinath dwivedi

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रतलाम। बाल श्रम पर नए कानून के तहत अब किसी भी काम के लिए 14 साल से कम उम्र के बच्चे को नियुक्त करने वाले व्यक्ति को दो साल तक की कैद की सजा तथा उस पर 50,000 रुपये का अधिकतम जुर्माना लगने का प्रावधान लागू हो गया है। इस कठोर नियम के लागू होने के बाद भी दुकानदार और फैक्ट्ररी में बालश्रम पूरी तरह से नहीं रूक पा रहा है। अब श्रमायुक्त ने इस पर पूरी तरह से काबू पाने के लिए जिलास्तार पर नोडल अधिकारी की नियुक्ति की है। वहीं जिला स्तर पर एक टॉस्क फोर्स बनाकर बालश्रम पर काबू करने की तैयारी की है।

टास्क फोर्स का गठन
मध्यप्रदेश श्रमायुक्त इंदौर के निर्देशानुसार बालक और कुमार श्रम (प्रतिषेध एवं विनियम) अधिनियम १९६६ एवं उसके अंतर्गत निर्मित संशोधन नियम २०१७ के नियम १७ ग प्रावधानों के अनुरूप जिले में अधिनियम के प्रभारी प्रवर्तन के संबंध में जिला दंडाधिकारी की अध्यक्षता में जिला टास्क फोर्स का गठन किया गया है। इसमें अध्यक्ष जिला कलेक्टर, सचिव जिला मजिस्ट्रेट और सदस्य, एसपी, अपर कलेक्टर, सहायक श्रमायुक्त, चाइल्डलाइन समन्वयक प्रेम चौधरी, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का प्रतिनिधि, जिला र्दुव्यापार निवारण युनिट का सदस्य, जिला बाल कल्याण समिति का सदस्य, बाल श्रम संरक्षण अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी तथा नोडल अधिकारी श्रम निरीक्षक नलिनी कटारा टास्क फोर्स में शामिल रहेंगे। हर माह इनकी बैठक होगी और बाल श्रम को पकडऩे योजना बनेंगी।

मौके पर ही तुरंत कार्रवाई
चाइल्ड लाइन समन्वयक प्रेम चौधरी ने बताया कि जहां बाल श्रम हो रहा है। टीम वहां पहुंचेगी। दुकान का लाइसेंस और बच्चे के आधार कार्ड को देखेगी। अगर आधार कार्ड पर आशंका है तो बच्चे को कब्जे में लेकर उसका मेडिकल कराया जाएगा। उसके आधार पर उसकी आयु तय होगी। जिसके बाद कार्य का भार देखा जाएगा, जोखिम भरा काम तो नहीं कराया जा रहा था। बच्चे की १४ साल से कम उम्र होने पर बाल श्रम कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, स्कूल से बाद के समय में अपने परिवार की मदद करने वाले बच्चे को इस कानून के दायरे में नहीं रखा गया है। नया कानून 14 से 18 साल की उम्र के किशोर को खानों और अन्य ज्वलनशील पदार्थ या विस्फोटकों जैसे जोखिम वाले कार्यों में रोजगार पर पाबंदी लगाता है. हालांकि, नया कानून फिल्मों, विज्ञापनों या टीवी उद्योग में बच्चों के काम पर लागू नहीं होता।

यह है कानूनी प्रावधान
संशोधित अधिनियम के जरिए उल्लंघन करने वालों के लिए सजा को बढ़ाया है. बच्चों को रोजगार देने वालों को छह महीने से दो साल की जेल की सजा होगी या 20,000 से लेकर 50,000 रुपये तक का जुर्माना, या दोनों लग सकेगा। पहले तीन महीने से एक साल तक की सजा और 10,000 से 20,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों का प्रावधान था। दूसरी बार अपराध में संलिप्त पाए जाने पर नियोक्ता को एक साल से लेकर तीन साल तक की कैद की सजा का प्रावधान किया गया है. कानून के मुताबिक किसी भी बच्चे को किसी भी रोजगार या व्यवसाय में नहीं लगाया जाएगा। हालांकि स्कूल के समय के बाद या अवकाश के दौरान परिवार की मदद करने की छूट दी गई है।

पंचनामा बनाकर की जाएगी कार्रवाई
जिला कलेक्टर के साथ टास्क के सभी सदस्यों की मौजूदगी में जल्द बैठक तय होगी। जिसके बाद बाल श्रम को जिले में च्ििन्हत कर कार्रवाई की जाएगी। मौके पर जांच के बाद पंचनामा बनाकर कोर्ट में चालान सबमिट कर कार्रवाई कराई जाएगी।
– नलिनी कटारा, नोडल अधिकारी श्रम विभाग

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