फिल्म फेस्टिवल में झारखंड
गोवा में चल रहे इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया ने इस वर्ष झारखंड राज्य पर फोकस किया है, जिससे झारखंड में फिल्म व अन्य उद्योगों में खुशी का माहौल है। भारत में पहली बार किसी राज्य पर फिल्म विकास के लिए ऐसे फोकस किया गया है। झारखंड सरकार भी इस कोशिश में लगी है कि झारखंड फिल्मकारों की पहली पसंद बन जाए। राज्य सरकार ने फिल्मों को बढ़ावा देने के लिए अनेक प्रावधान किए हैं।
लचीली फिल्म नीति का राज्य
झारखंड में अपने फिल्म की शूटिंग करने वाले निर्माताओं को कुल बजट का 25 से 50 प्रतिशत धन सरकार देगी। इसके अलावा एक दूसरी योजना के तहत शूटिंग के कुल दिन में से आधे दिनों की शूंटिंग झारखंड में करने वालों को 1 करोड़ रुपए और दो तिहाई शूटिंग करने वालों को 2 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। झारखंड इस नीति पर वर्ष 2015 से काम कर रहा है और उससे उसे फायदा भी बहुत हो रहा है।
झारखंड में फिल्म संभावना
झारखंड संसाधनों से भरपूर राज्य है। देश का लगभग 40 प्रतिशत खनिज भंडार इसी राज्य में है। 30 प्रतिशत से ज्यादा हिस्से में घने जंगल हैं। कई छोटे-बड़े झरने, पहाड़, पहाडिय़ां, नदियां, घाटियां झारखंड की शोभा हैं। यह दूसरे राज्यों के लिए भी सबक हो सकता है कि झारखंड के अनेक अधिकारियों ने गोवा फिल्म समारोह में डेरा डाल रखा है, ताकि ज्यादा से ज्यादा क्षेत्रीय व राष्ट्रीय फिल्मकारों को झारखंड में फिल्म बनाने का न्योता दिया जा सके। झारखंड में फिल्मों की नई क्रांति का श्रेय मुख्यमंत्री रघुवर दास और वरिष्ठ अधिकारी संजय कुमार को दिया जाता है।
झारखंड में शूट हुई फिल्में, बेगम जान, रांची डायरी…
बेगम जान, ए डेथ इन द गूंज, अजब सिंह की गजब कहानी इत्यादि फिल्में झारखंड में शूट हुई हैं। पिछले वर्ष वरिष्ठ अभिनेता अनुपम खेर की भूमिका वाली एक व्यावसायिक फिल्म बनी थी रांची डायरी, जिसमें 80 प्रतिशत कलाकार झारखंड के ही थे। इसकी शूटिंग रांची और उसके आसपास ही हुई थी। आठ करोड़ के बजट वाली इस फिल्म को राज्य सरकार ने 1.75 करोड़ रुपये की मदद दी थी। झारखंड सरकार ने 25 से ज्यादा फिल्मों को शूटिंग की मंजूरी दे रखी है।