इस नवाब ने देखा था देश को विश्व में शिक्षा जगत का सिरमौर बनाने का सपना
दरअसल रामपुर के नवाब की अरबों रुपए कीमत की संपत्ति के लिए लंबे समय से विवाद चला आ रहा था। हिस्सेदारों के बीच कानूनी लड़ाई लड़ी जा रही थी। अब 49 साल बाद करीब 27 अरब रुपए कीमत की आंकी गई इस संपत्ति का बंटवारा हुआ है। यह संपत्ति मरहूम मुर्तजा अली खान की बेटी निखत-बी, बेटे मुराद मियां और दूसरे पक्ष के मरहूम मिक्की मियां की पत्नी पूर्व सांसद बेगम नूर बानो उनके बेटे नवेद मियां और बेटियों समेत कुल 16 वर्षों में बंटनी तय हुई है।कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पर एफआईआर दर्ज, कांग्रेसी चिंतित
शरीयत के हिसाब से बटवारा प्रक्रिया पूर्ण हुई है। शुक्रवार को रामपुर के जिला जज की ओर से बंटवारे की प्रस्तावित योजना जारी की गई। कुल 143 पेजों में इस बंटवारे में सभी पक्षकारों को अलग-अलग संपत्ति का अधिकारी बनाया गया है और 15 दिन के भीतर आपत्ति दाखिल करने के लिए कहा गया है। अदालत ने जो निर्णय दिया है उसके मुताबिक नवाब संपत्ति का जिन वारिशों में बटवारा होना है उनमें से पाकिस्तान की नागरिक मैहरुनिशा की संपत्ति को कस्टोडियन घोषित किया गया है। इस मामले की 9 जुलाई को सुनवाई हुई थी। इस दौरान मैहरुनिशा की संपत्ति को कस्टोडियन को दिलाने के लिए अर्जी लगाई गई थी जिस पर अभी तक निर्णय नहीं हाे सका है। इस मामले में पाकिस्तान के पूर्व एयर चीफ मार्शल अब्दुल रहीम खान की पत्नी मैहरुनिशा बेगम पक्षकार हैं।जो निर्णय हुआ है उसके मुताबिक पूर्व सांसद बेगम नूर बानो को 2.250 प्रतिशत हिस्सा मिलेगा। नवाब काजिम अली खान को 7.874 प्रतिशत हिस्सा मिलेगा। समन खां को 3.937 प्रतिशत हिस्सा मिलेगा, सबा दुर्रेज अहमद को 3.937 प्रतिशत तलत फतमा हसन को 2.025 प्रतिशत, गीजला मारिया अली खान को 5.165 प्रतिशत, नदीम अली खान को 5.165 प्रतिशत, सिराजुल हसन को 4.051 प्रतिशत, ब्रिजिश लका बेगम को 8.999 प्रतिशत, अख्तर लका बेगम को 8.999 प्रतिशत नाहिद लका बेगम को 8.999 प्रतिशत कमर लका बेगम को 8.999 प्रतिशत, मुहम्मद अली खान को 8.101 प्रतिशत और निगहत बी को 4.051 प्रतिशत संपत्ति मिलेगी।
नवाब की संपत्ति के बंटवारे में कुल 18 पक्ष कार थे लेकिन इनमें से दो की मौत हो चुकी है। अब दो पक्षकारों की मौत हो जाने के बाद यह पूरी संपत्ति कुल 16 हिस्सेदारों में बंटनी है।
शरीयत के हिसाब से तय हुई है हिस्सेदारी
नवाब काजिम अली खान के वकील संदीप सक्सेना का इस फैसले पर कहना है कि पक्षकारों की आपत्तियों के निस्तारण के बाद पार्टीशन की फाइनल स्कीम आएगी। विभाजन योजना यानी हिस्सेदारी पूर्व निर्धारित शरीयत के हिसाब से तय की गई है।