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रामपुर

पाकिस्तानी नागरिकता छिपाकर स्कूल में पढ़ा रही थीं मा-बेटी, मामला खुला तो हुई ये कार्रवाई

पाकिस्तानी नागरिकता छिपाकर रामपुर में शिक्षका के पद पर कार्यरत महिला को बर्खास्त कर दिया गया। जबकि उसकी बेटी बरेली में शिक्षिका के पद पर कार्यरत है, उसे निलंबित करने के बाद बर्खास्तगी की कार्रवाई की जा रही है।

रामपुरSep 02, 2022 / 03:29 pm

Jyoti Singh

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रामपुर में अधिकारियों की बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। यहां नागरिकता छिपाकर मां-बेटी ने शिक्षिका की नौकरी हासिल कर ली। जब जांच हुई तो पूरा मामला खुलकर सामने आ गया। जिसके बाद दोनों मां-बेटी के खिलाफ शिकंजा कसा गया है। रामपुर में शिक्षका के पद पर कार्यरत महिला को बर्खास्त कर दिया गया। जबकि उसकी बेटी बरेली में शिक्षिका के पद पर कार्यरत है, उसे निलंबित करने के बाद बर्खास्तगी की कार्रवाई की जा रही है। हालांकि मामले की जांच की जा रही है। वहीं महिला का कहना है कि उसका जन्म और पढ़ाई भारत में ही हुई। ऐसे में उन पर कोई कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। बता दें कि विभाग ने उन्हें गलत तरीके से भारत की नागरिकता दिखाकर नौकरी लेने का आरोपी बनाया है। विभाग ने उनके निलंबन से पूर्व ही पूर्ण वेतन भी रोक दिया था।
विभाग कर रहा सेवाएं समाप्त करने की तैयारी

बता दें कि साल 2015 में महिला शिक्षिका शुमाएला की फतेहगंज पूर्वी के प्राथमिक विद्यालय माधौपुर में तैनाती हुई थी। लेकिन इस साल महिला का पाकिस्तानी कनेक्शन निकलने से हड़कंप मच गया। विभाग ने तुरंत एक कमटी गठित की और जांच कराई तो पता चला की मामला सही है। जिसके बाद विभाग ने महिला शिक्षिका को निलंबित कर दिया। वहीं अब उसकी सेवाएं समाप्त करने की तैयारी की जा रही है। बता दें कि इस मामले में एसपी रामपुर के पत्र के बाद बीएसए बरेली के संज्ञान में यह मामला आया था।
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पाकिस्तानी पासपोर्ट पर मिला था वीजा

जानकारी के मुताबिक, रामपुर के मोहल्ला आतिशबाजान की रहने वाली माहिरा उर्फ फरजाना ने 1979 में पाकिस्तान के सिबगत अली से निकाह किया था। निकाह के बाद वह पाकिस्तान ही रहने लगीं। पाकिस्तान की नागरिकता मिलने के दो वर्ष बाद माहिरा का तलाक हो गया और वह पाकिस्तानी पासपोर्ट पर भारत का वीजा प्राप्त कर दोनों बेटियों शुमाएला खान उर्फ फुरकाना व आलिमा के साथ रामपुर आकर रहने लगी।
ठंडे बस्ते में चला गया था मामला

वहीं वीजा अवधि खत्म होने पर भी वह पाकिस्तान नहीं लौटीं तो एलआइयू ने रामपुर में वर्ष 1983 में मुकदमा दर्ज करा दिया। 25 जून 1985 को उन्हें सीजेएम कोर्ट से कोर्ट की समाप्ति तक अदालत में मौजूद रहने की सजा सुनाई गई और बाद में मामला ठंडे बस्ते में चला गया। 22 जनवरी को वर्ष 1992 की बेसिक शिक्षा विभाग में माहिरा की शिक्षक के पद पर नियुक्ति हुई। मामला शासन तक पहुंचा तो विभाग ने उन्हें तथ्य छुपाकर नौकरी करने के आरोप में निलंबित कर दिया, बाद में उनकी बहाली भी हो गई थी।

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