19 साल तक महल में रखा रहा था नवाब खानदान की बेगम का शव, जानिए क्यों
Highlights:
-19 वर्ष के लंबे इंतजार के बाद शव को इराक के कर्बला में दफनाया गया था
-इतने समय तक उनका शव रामपुर में ही कोठी खासबाग में रखा रहा था
-जिसकी सुरक्षा में वर्षों तक पुलिस भी तैनात रही
रामपुर। उत्तर प्रदेश का रामपुर जिला अक्सर चर्चा में रहता है। कभी यहां से सपा सांसद आजम खान को लेकर तो कभी यहां के नवाब खानदान को लेकर। इन दिनों रामपुर नवाब खानदान की अरबों रुपये की संपत्ति के बंटवारे को लेकर सुर्खियों में बना हुआ है। हो भी क्यों न, इस खानदान के पास इतनी संपत्ति और हथियार है जो लगातार लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
इस बीच आज हम आपको रामपुर के नवाब खानदान की बेगम के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके शव को 19 वर्ष के लंबे इंतजार के बाद इराक के कर्बला में दफनाया गया था। वहीं इतने समय तक उनका शव रामपुर में ही कोठी खासबाग में रखा रहा था। जिसकी सुरक्षा में वर्षों तक पुलिस भी तैनात रही। दरअसल, नवाब मुर्तजा अली खां की बेगम आफताब जमानी का इंतेकाल 3 अगस्त 1993 को हुआ था और उनके शव को फरवरी 2012 में दफन किया गया।
बेगम आफताब जमानी ने जिंदा रहते इराक के कर्बला में खुद को दफन करने की वसीयत की थी। ऐसा इसलिए था क्योंकि नवाब खानदान के ज्यादातर लोगों के शवों को कर्बला में ही दफन किया गया था। उनके पति नवाब मुर्तजा अली खां का शव भी कर्बला में दफन किया गया था।
जब बेगम की मौत हुई तो उस दौरान इराक में सद्दाम हुसैन का शासन था और वहां के हालात अच्छे नहीं थे। जिसके चलते दुनियाभर ने इराक पर पाबंदी लगा दी थी। बेगम के शव को कर्बला ले जाकर दफनाने की अनुमति नहीं मिल सकी। जिसके चलते शव को इमामबाड़ा खासबाग के एक कमरे में रखा गया और कमरे को पूरी तरह सीलबंद कर दिया गया। इस बीच बेगम के बेटे मुराद मियां और बेटी निगहत ने कई बार इराक में शव ले जाने की कोशिश की लेकिन ऐसा नहीं हो सका। हालांकि इराक के हालात जब सामान्य हुए तो करीब 18 साल बाद शव को इराक ले जाने की अनुमति मिल सकी थी।
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