दरअसल, मामला उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले का है। जहां 16 साल पहले अशरफ (काल्पनिक नाम) नाम के युवक से एक युवती का निकाह इस्लामिक नियमों के आधार पर हुआ था। आसिफ पेशे से ट्रक ड्राइवर है। गरीबी का आलम ये है कि उसके पास अपना खुद का घर भी नहीं है। वह परिवार सहित काशीराम कॉलोनी के सरकारी आवास में रहता है। निकाह के बाद अशरफ की पत्नी ने तीन बेटियां और एक बेटे को जन्म दिया। सबसे बड़ी बेटी 14 साल की है,जो अपनी मां की हरकत से नाराज है। इसके अलावा बाकी बच्चे भी बहुत गुमसुम हैं, लेकिन मोहब्बत में अंधी हुई इस महिला को न अपने बच्चों का भविष्य दिखार्इ दे रहा है और न ही अपने पति और खुद का।
महिला ने अपने पति को छोड़ने की यह दलील दी है कि उसका पति काम नहीं करता घर का खर्च उठाने में असमर्थ है। लिहाजा में अब उसके साथ बाकी की जिंदगी बिताना नहीं चाहती है। पड़ोस में रहने वाला एक शख्स है जो मेरी हर जरूरत पूरी करने के सक्षम है। उसकी के साथ बाकी की जिंदगी गुजारूंगी। लिहाजा मुझे मेरे पति से छुटकारा दिलाएं। बता दें कि हाल ही में शहर काजी ने मदरसा इस्लामिया में बुलाकर दोनों से बातचीत करके समझाया है, लेकिन महिला है कि काजी की कोई बात समझना नहीं चाहती। वह अपने पति से तलाक की ज़िद पर अड़ी है। बहरहाल महिला को समझाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन महिला है कि मानने को बिलकुल तैयार नहीं है। महिला का कहना है मैं अपने प्रेमी के बगैर एक पल नहीं जी सकती। इसलिए में शरई अदालत आई हूं। मुझे न्याय चाहिए।
वहीं पति का कहना है कि अगर वह ऐसा कर लेगी तो मैं बच्चों को संभालूंगा या घर का चूल्हा जलाने के लिए पैसा कमाने बाहर जाऊंगा। छोटे-छोटे बच्चे किसको मां कहेंगे कौन इन्हें मां का प्यार देगा। समाज के लोग इन बच्चों को किस नजर से देखेंगे। मैं खुद इन सब बातों को लेकर हैरान, लेकिन मेरी पत्नी है कि अपने आशिक के इश्क में इस कदर दीवानी है कि उसे उसके अलावा कुछ नज़र नहीं आ रहा है।