महिला और उसके बेटे की मानें तो गाँव वालों पर ही ये पूरा परिवार निर्भर है। घर पूरी तरह खंडहर है। उसमें न तो सोने के लिए पर्याप्त चारपाई हैं, न ही बिस्तर। इतना ही नहीं, इनके पस खाने तक को राशन नहीं है। राशनकार्ड से जो भी अनाज मिलता है, उसी से परिवर क लालन-पोषण किया जाता है। मृतक हनीफ की पत्नी का कहना है कि गांंव के लोग ही उनकी मदद करते हैं। इनके घर के तीनों दिशाओं में लोगों के पक्के घर हैं। एक इन्हीं का घर है जो मिट्टी का बना है। गांव के लोगों ने कुछ मदद करके सीमेंट की चादर अब लगा दी हैं। जबकि पहले परिवार को बरसात के मौसम में बारिश के बीच रहना होता था।
वहीं इस मामले में जब बीडीओ राम किशन से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अभी 3192 लोग जो छूटे हुए थे उनका डाटा फीड करवाया है। हर हाल में घर बनेगा, जैसे ही सरकार से आगे की रणनीति बनेगी। जो पात्र थे, उनका घर बन चुका है। जो पात्र नहीं थे पर जमीनी तौर पर पात्रता की श्रेणी में आते हैं उनका डाटा फीड हो गया है , जल्द ही मकान बनवाया जाएगा।