उल्लेखनीय है कि रामपुर जिला प्रशासन ने गैरकानूनी बताते हुए उर्दू गेट को गिरा दिया था। इसके बाद प्रशासन ने रामपुर पब्लिक स्कूल के खिलाफ कार्रवार्इ करते हुए 22 कमरों को खाली कराकर यूनानी अस्पताल को सौंप दिया था। इस कार्रवार्इ के बाद समाजवादी पार्टी के नेता ने दोनों कार्रवार्इ को गलत बताया था। वहीं रामपुर के उर्दू घर गेट को तोड़ने और आजम खान के रामपुर पब्लिक स्कूल को खाली कराने की कार्यवाही को राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित कार्यवाही बताते हुए एक सामाजिक कार्यकर्ता ने हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल की थी।
सामाजिक कार्यकर्ता विक्की कुमार पीआईएल में इन कार्यवाही को गलत बताते हुए हार्इकोर्ट से दखल देने की मांग की थी। इस पर सुनवार्इ करते हुए हार्इकोर्ट ने अब उत्तर प्रदेश सरकार के साथ रामपुर के जिलाधिकारी से पूछा है कि दोनों ही मामलों में सीधी कार्यवाही करने से पहले कानूनी कदम क्यों नहीं उठाया। इतना ही नहीं न्यायालय ने रामपुर पब्लिक स्कूल के खिलाफ बगैर किसी नोटिस खाली करवाने पर भी हैरानी जताई है। साथ ही कहा कि दोनों ही मामलों में स्थगनादेश जारी करने का कोई औचित्य नहीं है। न्यायालय ने दोनों मामलों में उत्तर प्रदेश सरकार आैर जिला प्रशासन को दो हफ्ते की मोहलत दी है। साथ ही अब इस मामले में अगली सुनवार्इ 29 मार्च को होगी।