मुजफ्फरनगर में चलती बस में व्यक्ति की गोली मारकर हत्या
इलाहाबाद हाईकोर्ट ( Allahabad High Court ) ने बाप-बेटे की ओर से दाखिल कराई गई तीन जमानत अर्जियों की सुनवाई के बाद उनकी जमानत अर्जी को खारिज किया है। कोर्ट ने जमानत काे रद्द करते हुए कहा है कि याचीगण प्रभावशाली व्यक्ति हैं और प्रदेश के अलग-अलग विभागों में मंत्री भी रह चुके हैं। ऐसे में खुद उनके द्वारा साक्ष्यों को प्रभावित करने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।जिस मामले में हाईकोर्ट ने सांसद आजम खान की जमानत अर्जी को खारिज किया है वह मुकदमा रामपुर के सिविल लाइंस थाने में स्थानीय बीजेपी नेता आकाश सक्सेना की ओर से दर्ज कराया गया था। इस मुकदमे में आरोप लगाए गए थे मोहम्मद आजम खान ने अपने रुतबे का इस्तेमाल करते हुए महापालिका से अपने बेटे का फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनवाया और फिर उसके आधार पर पैन कार्ड और पासपोर्ट भी बनवा लिया। आजम खान के बेटे की एक पैन कार्ड में जन्मतिथि 1 जनवरी 1993 अंकित है। यह पैन नंबर उनके बैंक खाते से भी लिंक है जबकि स्वार विधानसभा से जब उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए नामांकन किया तो उस समय जो पैन कार्ड दाखिल किया उसमें जन्म तिथि 30 सितंबर 1990 थी। उनका यह पैन कार्ड बैंक खाते से लिंक नहीं था। ऐसे में उन पर आरोप लगे थे कि उन्होंने गलत तरीके से पासपोर्ट बनवाया है।
आजम खान की ओर से दी गई यह दलील
आजम खान के वकील की ओर से दलील दी गई कि सांसद आजम खान के खिलाफ धोखाधड़ी का कोई मामला नहीं बनता। जो आरोप हैं वह दस्तावेजों के आधार पर आधारित हैं और इस मामले की समीक्षा गहराई से की जाने की आवश्यकता है। प्रदेश सरकार की ओर से जमानत अर्जी का विरोध किया गया । कोर्ट ने मामले के तथ्यों और दोनों पक्षों को सुनने के बाद जमानत अर्जी को खारिज कर दिया। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने स्थानीय अदालत को भी आदेशित किया है कि इस मुकदमे का ट्रायल तेजी से किया जाए। हाईकोर्ट ने याचिका को यह परमिशन दी है कि वह चाहे तो गवाहों के साक्ष्य हो जाने के बाद ट्रायल कोर्ट में अपनी जमानत अर्जी दाखिल कर सकते हैं।