फैक्ट फाइल
: 110 मीटर लम्बाई: 045 मीटर चौड़ाई
: 03 मीटर गहराई
: 13 लाख रुपए लागत
: 14 हजार घनमीटर क्षमता
: 90 हेक्टेयर जलग्रहण क्षेत्र
13.2 हेक्टेयर आवंटित की थी जमीन
राजसमंद कृषि विज्ञान केन्द्र की 1994 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने मंजूरी दी थी। फरवरी 1995 में इसकी स्थापना की गई। इसके लिए 13.2 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई थी। इसमें प्रदर्शन इकाइयों के लिए 0.50, फसल के लिए 7.70 हेक्टेयर एवं बागवानी 2.50 हेक्टेयर आवंटित की गई। इसमें तालाब निर्माण के लिए 0.50 हेक्टेयर भूमि रखी गई थी।जमीन की किस्म खारी, फार्मपौंड पर निर्भरता
केवीके जमीन की किस्म खारी है। इसके कारण भूमिगत जल किसी काम का नहीं है। इसके कारण फार्म पौंड में एकत्र पानी सिंचाई और बागवानी के लिए उपयोग लिया जाता है। ड्रिप और फव्वारा सिस्टम से प्रदर्शन इकाईयों, बागवानी, कुक्कुट पालन, बकरी पालन और नर्सरी में पौधे तैयार करने आदि के काम में लिया जाता है। इसमें भरा पानी पूरे वर्ष भर काम आता है। इससे दोनों फसलों की पैदावार भी होती है। हालांकि केवीके में एक कुआं भी है। इस वर्ष दो कच्चा फार्म पौंड भी बनाया गया है।राजसमंद का फार्म पौंड देशभर में बना था मॉडल
केवीके में प्लास्टिक रेखीय जलकुंड बनवाया गया था। इसके बाद ही खेत तलाई योजना आदि शुरू की गई है। इस कुंड में एकत्र पानी वर्षभर फसल सहित अन्य कार्यो में आता है। वर्तमान में दो कच्चे फार्म पौंड और एक कुआं भी है।- डॉ. पी.सी.रैगर, अध्यक्ष कृषि विज्ञान केन्द्र राजसमंद