तेल, साबुन और पेंट बनाने में भी उपयोगी
जानकारों की मानें तो सीताफल के उपयोग से हृदय सम्बंधित, पेट सम्बंधित, कैंसर, कमजोरी और जोड़ों में दर्द जैसी कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है। इसके बीजों के तेल का इस्तेमाल साबुन और पेंट बनाने में किया जाता है, तो वहीं फसलों के कीट नियंत्रण में भी उपयोगी है।
प्रसंस्करण से यह है बनता
सीताफल का प्रसंस्करण कर उसके गूदे से कई खाद्य पदार्थ व उत्पाद बनाए जा सकते हैं। इनमें आइसक्रीम, शरबत, जेम, रबड़ी, शेक, पाउडर आदि शामिल हैं। सीताफल के छिलकों से कम्पोस्ट खाद फसलों के लिए काफी लाभदायक है।
कई क्विंटल की हो रही बिक्री
जिला मुख्यालय स्थित सब्जी एवं फल मंडी में प्रतिदिन 2 से 3 क्विंटल सीताफल की आवक हो रही है। नाथद्वारा स्थित फल-सब्जी मंडी में इनकी अच्छी आवक हो रही है। राजनगर से गोमती तक और भीलवाड़ा हाईवे स्थित चुंगी नाका, जे.के. सर्कल सहित सैकडों लोग कट्टे में सीताफल लेकर बिक्री के लिए बैठे रहते हैं। यहां पर 14-15 रुपए प्रतिकिलो के हिसाब से बिक्री होती है। वर्तमान में गुजराती लोगों की अच्छी आवाजाही होने के कारण इनकी अच्छी बिक्री हो रही है।
एक-दो माह का काम, लेबर पड़ती है महंगी
सीताफल का एक-दो माह का काम होता है। पिछले साल प्रोसेसिंग यूनिट ने काम भी शुरू किया था, लेकिन श्रमिकों की मजदूरी अधिक होने के कारण काम बंद कर दिया। सीताफल में किसी प्रकार का रोग भी नहीं लगता है। यह जंगल में उगते हैं। इनके पकने पर तुरंत इनका उपयोग नहीं करने पर यह खराब हो जाते हैं।