गाजे-बाजे के साथ निकाली रेवाड़ी
सभी तैयारियां पूरी होने के बाद रेवाड़ी वाले विष्णु राजावत की ओर से निज मंदिर से गाजे-बाजे के साथ बाल प्रतिमा को श्रृंगार के साथ अन्नकूट का भोग धराने के लिए लाया गया। बाल प्रतिमा के दर्शनों के लिए श्रद्धालु पहले से ही लालायित हो रहे थे, जिन्होंने खूब जयकारे लगाए। बाल प्रतिमा को अन्न के ढेर की परिक्रमा कराई। छड़ीदार मांगीदास द्वारा आरती का थाल सजाकर आरती की गई। अन्न के ढेर के चारों ओर बछडी की परिक्रमा कराई गई। कुछ समय के लिए बाल प्रतिमा को चांदी की पालकी को अन्नकूट के बीच धराया तथा भोग रस्म अदा की। पुन: बाल प्रतिमा को गर्भ ग्रह में प्रतिस्थापित किया गया। इस बीच भील समुदाय के सदस्य मुख्य द्वार पर पहले से ही तैयार थे, जो शाम 5.15 बजे देवस्थान के सिपाही द्वारा तोप दागने के साथ ही मुख्य द्वार का दरवाजा खुलने पर अन्न के ढेर को लूटने के लिए टूट पड़े और 20 मिनट में भील समुदाय ने अन्न के ढेर को लूट लिया। झोलियां भरकर चारभुजा जी मंदिर के अंदर पहुंचे, जहां वर्ष में एक बार अंदर जाकर दर्शन करने का लाभ लिया। वहीं, श्रद्धालुओं ने भी अन्नकूट का प्रसाद लिया।
मंदिर में रही विशेष व्यवस्था
मंदिर की परंपरा अनुसार माली समाज, रसोईदारों की व्यवस्था करता है, छड़ीदार कद्दू व सब्जियां काटने के काम के साथ ही मिठाई बनाने का जिम्मा लेता है। अन्नकूट के बाद प्रसाद वितरण किया गया। भीड़ को देखते हुए पुलिस की माकूल व्यवस्था रही। वहीं, रोकडिया हनुमान मंदिर पर भी अन्नकूट महोत्सव मनाया गया।