scriptPanna Dhai: पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र है अरावली पहाड़ियों की गोद में बना पन्नाधाय का पैनोरमा, बलिदान की गौरव गाथा की अनूठी मिसाल | The Panorama Panna Dhai built Aravali Hills is a center of attraction for tourists unique | Patrika News
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Panna Dhai: पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र है अरावली पहाड़ियों की गोद में बना पन्नाधाय का पैनोरमा, बलिदान की गौरव गाथा की अनूठी मिसाल

Rajsamand News: ये ऐसा स्थल है जो स्वामी भक्ति की एक अनूठी मिसाल है। जिसके चर्चे ना केवल इतिहास के पन्नों बल्कि हर जुबां पर आज भी कायम है।

राजसमंदSep 16, 2024 / 12:35 pm

Alfiya Khan

Panorama of Panna Dhay
Rajsamand News: आमेट। आमेट से 8 किमी दूर देवगढ़ रोड पर कमेरी गांव के पास चौराहे पर बनाया गया स्वामीभक्त पन्नाधाय का पैनोरमा किसी परिचय का मोहताज नहीं है। ये ऐसा स्थल है जो स्वामी भक्ति की एक अनूठी मिसाल है। जिसके चर्चे ना केवल इतिहास के पन्नों बल्कि हर जुबां पर आज भी कायम है।
अरावली की गोद में बना ये पैनोरमा ऐसा स्थल जो बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। कोरोनाकाल में राजस्थान से करीब 2 लाख पर्यटक इस पैनोरमा को देखने पहुंचे और पहला स्थान प्राप्त हुआ। इसकी खूबसूरती, जीवंत मूर्तियां देखते ही इतिहास फिर से दिमाग में घूमने लग जाते हैं।
यहां लगे शिलालेखों पर स्वामी भक्त महिला की गाथा पढ़कर शौर्य का भाव स्वत ही जाग्रत हो जाता है। इसकी नींव पन्नाधाय की स्वामी भक्ति एवं उसके पुत्र चंदन के बलिदान पर खड़ी है। स्वामी भक्ति के लिए पुत्र का बलिदान देने वाली पन्नाधाय का नाम इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है।
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सितंबर में खोला गया पैनोरमा

पर्यटकों के लिए ये पैनोरमा सितम्बर 2018 में खोला गया। यहां पर पन्नाधाय की जीवन गाथा से जुडे स्टेच्यू मॉडल एवं फ्रेम हैं। जिसमें कुंवर उदय सिंह व चन्दन का शस्त्र अभ्यास, विक्रमादित्य व उदयसिंह का पुन: चित्तौड़ आगमन, पन्ना के पति सुरलमल की युद्ध में वीरगति, मेवाड़ एवं बहादुरशाह की सेना के बीच युद्ध, महारानी कर्मवती का चित्तौड़ में जौहर करना, कुंवर उदयसिंह की रक्षा का वचन देतु हुए पन्नाधाय, महारानी कर्मवती ने भेजी हूमायूं को राखी।
महारानी कर्मवती का बहादुरशाह से युद्ध का फैसला, विक्रमादित्य से नाराज सामन्तों का मेवाड़ छोडना, विक्रमादित्य को बनाया मेवाड़ का महाराणा, कर्मवती द्वारा मेवाड़ राज्य का विभाजन करना, कुंवर उदय सिंह एवं चन्दन को एक समान दुलार, वीरांगना पन्ना का परिवार, महारानी कर्मवती, राजकुमार उदय सिंह, महाराणा संग्राम सिंह, पन्ना आई पाण्डोली से कमेरी की स्टेच्यू मॉडल एवं फ्रेम लगी हुई है। एक्जीबिशन में बनवीर द्वारा विक्रमादित्य की हत्या करना, पन्नाधाय को बनवीर की सूचना देती दासी, पन्नाधाय, उदयसिंह व चन्दन के वेश बदलते हुए आदि जानकारी दी गई है।

प्रतिवर्ष 12 से 15 हजार पर्यटक देखने आते

वर्तमान में पन्नाधाय पैनोरमा का संचालन अतिरिक्त जिला कलक्टर राजसमन्द एवं उपखंड अधिकारी आमेट के अधिनस्त में है। इस पैनोरमा में सुरक्षा गार्ड में लगे भरत कुमार गुर्जर ने बताया कि प्रतिवर्ष करीब 12 हजार से 15 हजार तक के पर्यटक इस पैनोरमा को पूरे देश भर से देखने के लिए आते हैं।
वर्ष 2023 में 10 हजार भारतीय नागरिक तथा 1 हजार विदेशी पर्यटक इस स्थल को देखने पहुंचे। राज्य सरकार के आदेश अनुसार यहां पर दर्शनीय शुल्क भी सबसे कम है।भारतीय पर्यटक के प्रति व्यक्ति लिए 10 रुपये तथा विदेशी पर्यटक के प्रति व्यक्ति 20 रुपये टिकट डर निर्धारित की गई है। पैनोरमा स्थल की फोटोग्राफी का चार्ज अलग से लिया जाता है।

पैनोरमा का निर्माण

पन्नाधाय पैनोरमा के लिए राजस्थान की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने वर्ष 2015-16 के बजट में घोषणा की थी। धरोहर संरक्षण प्रोन्नति प्राधिकरण द्वारा पैनोरमा के निर्माण में ढाई करोड़ की राशि खर्च की गई। जिसमें एक करोड़ 52 लाख रुपए का भवन कार्य तथा 90 लाख में रोड़ एवं डवलपमेंट वर्क किया गया। पन्नाधाय की छतरी का निर्माण कुछ समय बाद किया गया।

पन्नाधाय के बलिदान का इतिहास

फतहलाल अनोख के शोध इतिहास के अनुसार पन्नाधाय का जन्म 8 मार्च 1490 मंगलवार मेवाड़ की तत्कालीन राजधानी चित्तौड़ के माताजी की पांडोली गांव में हुआ। पिता का नाम हरचंद हाकला था। मेवाड़ रियासत ठिकाना आमेट के कमेरी गांव के गुर्जर खेता चौराहा की 8वीं पीढ़ी में सूरजमल हुआ। जिसकी पत्नी पन्ना गुजरी थी। दासा के वंशज चौहान गुर्जर हिंदूजी के पौत्र एवं गुर्जर लाला चौहान के पुत्र गुर्जर सूरजमल चौहान की पत्नी पन्ना थी।
कमेरी के पन्नाधाय वंशजों को उसके अपने गांव एवं वंश की होने पर संशय था। पन्नाधाय के वंशज मोहनलाल गुर्जर ने बताया कि उसका प्रमाण हमारे वंशावली वाचक बडवा की पोथी में भी लिखा हैं। पन्ना के पति सूरजमल मेंवाड़ की सेना में बहादुरशाह के आक्रमण के समय लडते हुए शहीद हो गए। उदयसिंह को बचाने के दौरान पुत्र चन्दन का पन्नाधाय द्वारा स्वामिभक्ति का उदाहरण देते हुए अपने बेटे को उदयसिंह की जगह सुलाया। जिसको बाद में बनवीर ने मार कर शहीद कर दिया था।

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