फैक्ट फाइल…..
९०.५७ मिमी बारिश हुई है जून से अब तक राजसमंद जिले में
७१२ मिमी औसतन बरसात होती है जिले में वर्षाकाल में
27467 हैक्टेयर में बोया गया है केवल मक्का
4137 हैक्टेयर में दूसरी सबसे बड़ी बुवाई ज्वार की
कुंवारिया/लसानी. खेतों में पनपने के लिए संघर्ष कर रहीं फसलों पर फॉल आर्मीवर्म नामक कीड़े ने हमला बोल दिया है। अमरीका में मक्का व अन्य फसलों पर पाए जाने वाला यह कीड़ा राजसमंद जिले के अधिकांश इलाकों में पसरने की आशंका है। इसे लेकर कृषि विभाग के कान खड़े हो गए हैं।
इस कीड़े का छोटा लार्वा पौधों की पत्तियों को खुरचकर खाता है, जिससे पत्तियों पर सफेद धारियां या निशान दिखाई देने लगते हैं। जैसे-जैसे लार्वा बड़ा होता जाता है, पौधों की ऊपरी पत्तियों को खा जाता है। बड़ा होने के बाद मक्का के गाले में घुसकर पत्तियां खाता रहता है। पत्तियों पर बड़े-बड़े छिद्र गोल व लंबे आकार में एक ही कतार के रूप में नजर आते हैं। पौधे के सभी भागों पर यह कीट मौजूद रहता है।
इधर, चिंतित कृषि विभाग ने सर्वे के लिए विभिन्न दलों का गठन कर उन्हें फील्ड में रवाना कर दिया है। किसानों ने बताया कि फसलों पर कीड़ा लगने की सूचना कृषि विभाग को दी गई। इसके बाद कृषि विभाग ने कीट व्याधि सर्वे के लिए दो दलों का गठन किया।
दूसरा दल : 3 जुलाई को उप निदेशक राठौड़, हरिओम सिंह राणा सहायक निदेशक, कृषि अधिकारी संतोष दूरिया, डॉ. चौधरी एवं सहायक कृषि अधिकारियों के दल ने नेड़च, घोड़च, नेगडिय़ा, देलवाड़ा, कालिवास, बिलोता, शिशवी, लालमादड़ी क्षेत्र का दौरा कर सर्वे किया। कृषि विभाग ने निरीक्षण के बाद माना कि क्षेत्र में मक्का फसल में फॉल आर्मीवर्म नामक कीट का प्रकोप पाया गया है।
आमतौर पर यह कीट अमरीका में मक्का की फसल में पाया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम स्पोडोप्टेरा फ्रुजीपरडा है। सन् 2015 में यह कीट अमरीका के अलावा कहीं पर नहीं था। जनवरी, 2016 में पश्चिमी अफ्रीका में पहुंचा और 2018 के अंत तक 54 अफ्रीकी देशों में से 48 देशों में फैल गया। अब यह भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, थाईलैंड, यमन में भी फैल चुका है।
भारत में मई, 2018 में पहली बार कर्नाटक में मक्का की फसल में यह कीट देखा गया। इसके बाद अन्य राज्यों में फैला। उसी साल राजस्थान के बांसवाड़ा, डूंगरपुर, उदयपुर जिले में भी यह सर्वे में पाया गया। किसानों ने बताया कि अंकुरित फसल में ही यह कीट आसानी से दिखाई देने लगा है। यह पौधे की वृद्धि को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। मुख्य रूप से मक्का एवं ज्वार की फसल को अधिक प्रभावित करता है। कीट में वयस्क मादा 50 से 200 तक अंडे एक गुच्छे में देती है और उन्हें ढक देती है। मादा अपने जीवन काल में 7 से 21 दिन में ऐसे 10 गुच्छे दे सकती है। यानि एक मादा में १७०० से 2000 अंडे देने की क्षमता होती है। यह अंडे 3 से 4 दिन में फूट जाते हैं, जिनसे लार्वा निकलते हैं। लारवल पीरियड 14 से 22 दिन होता है। प्यूपल पीरियड 7 से 13 दिन का होता है। इस कीट का जीवन चक्र 30 से 61 दिन का होता है। एक साल में कई पीढिय़ां गुजर जाती हैं।
– इमोमेक्टिन बेन्जोएट 5 प्रतिशत एसजी 200 ग्राम 500 लीटर पानी में घोल कर प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
– बारीक रेत या राख का मक्का के पौटेे पर भुरकाव करने के साथ समय पर निराई-गुड़ाई एवं संतुलित उर्वरक का उपयोग करें।
– बरानी कृषि अनुसंधान केन्द्र, भीलवाड़ा के डॉ. ललित छाता के मुताबिक उड़द, मूंग व कपास फसल में वायरल रोगों की संभावना पर इमिडाम्लोमिड 0.5 मि.ली. प्रति 1 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
फॉल आर्मीवर्म कीट का प्रकोप देखने अधिकांश जगह दिख रहा है। हमारी टीम ने विभिन्न क्षेत्रों में गहनता से निरीक्षण किया है। अभी प्रारम्भिक अवस्था है। सभी कृषि पर्यवेक्षकों को कीट से बचाव के लिए किसानों को जागरुक करने को कहा है।
भूपेन्द्रसिंह राठौड़, उपनिदेशक, कृषि विभाग, राजसमंद
– जिलेभर में 1 जून से अब तक चार इंच से भी कम बरसात
– औसतन एक दिन में 3 एमएम बरसात भी नहीं
राजसमंद. जिले में इस बार मॉनसून की जैसी दस्तक हुई, वैसी बारिश नहीं हुई। बादल मॉनसून के आते ही खूब गरजे, दो दिन बरसे भी, लेकिन उनके बाद घटाएं ऐसी ओझल हुईं कि फुहारों तक से महरूम हैं। बारिश नहीं होने से जलाश तो खाली पड़े ही हैं, किसानों की अन्न उपजाने की उम्मीदें भी सूखती जा रही हैं।
खेतों में खड़ी फसलें अब मुरझाने लगी हैं। जिलेभर में अभी भी 40 प्रतिशत बुवाई होना बाकी है। जो फसलें बो दी गईं, उन्हें भी बचाने के लिए अब किसानों को संघर्ष करना पड़ रहा है। खेतों की नमी भी सूख चुकी है। जहां कुंओं और आसपास के जलाशयों में पानी उपलब्ध हैं, वहां से किसान पानी लाकर सिंचाई करने पर मजबूर हैं। खरीफ फसलों के लिए आमतौर पर किसान बारिश पर ही निर्भर रहते हैं, चूंकि गर्मी में जलाशयों का पानी भी सूख चुका है। इस वर्षाकाल में अब तक केवल 91 मिलीमीटर औसतन बारिश जिले में हुई है। एक जून से अब तक 38 दिनों में औसतन हर दिन तीन एएमएम से भी कम पानी गिरा है।
केन्द्र 10 साल का औसत 2020 1 जून-8 जुलाई 1 जन. से अब तक
आमेट ६२८ ७५० ७४ १९८
भीम ६६० ६३८ ३९ १३५
देवगढ़ ७१९ ५६६ ११० १८३
कुम्भलगढ़ ७९२ ६८४ ७२ १६५
नाथद्वारा ७१४ ८१६ १२२ १९६
राजसमंद ७६५ ७२० ९५ २१४
रेलमगरा ७०९ ७१६ १२२ २०७
औसत ७१२ ६९९ ९०.५७ १८५.४२
राजसमंद. जिले में किसानों के करोड़ों रुपए दांव पर लगे हुए हैं। पहले खेतों में खाद डाला। बरसात होने पर इधर-उधर से खरीदकर बीज जुटाया। बुवाई की और अब निराई-गुड़ाई का काम चल रहा है, लेकिन बारिश नहीं होने से पौधों पर शामत आ गई है। जिलेभर में अब तक लक्ष्य के मुकाबले करीब 60 प्रतिशत बुवाई ही हुई है। जुलाई में बरसात न के बराबर होने से नई बुवाई नहीं की जा रही है। किसान पहले से बोई गई फसल के ही खराब होने की चिंता में डृबे हुए हैं।
फसल लक्ष्य बुवाई
ज्वार 10००० 4137
बाजरा 300 191
मक्का 65000 27467
मूंग 1000 754
उड़द 1000 719
मूंगफली 1000 325
तिल 1000 136
गन्ना 200 153
कपास 5000 2137
ग्वार 3000 585
(बुवाई हैक्टेयर में)