scriptमुआवजे की मरहम : मौत साबित करना मुश्किल | Relatives are handling slips and important documents | Patrika News
राजसमंद

मुआवजे की मरहम : मौत साबित करना मुश्किल

परिजन सम्भाल रहे हैं पर्चियां और जरूरी दस्तावेज : न दस्तावेजों के बारे में जानकारी दे रहे, न आवेदन प्रक्रिया कोई बता रहा
 

राजसमंदJul 19, 2021 / 01:07 pm

jitendra paliwal

medical.jpg

hospital

केस – 01
भंवरलाल साहू (६९) पुत्र उदयलाल को सांस लेने में तकलीफ पर गत ५ जनवरी को जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया। जांच में कोरोना पॉजिटिव आए। हालत गंभीर होने पर ९ जनवरी को उदयपुर चिकित्सालय में रेफर किया गया, जहां १९ दिन लगातार इलाज के बाद २८ जनवरी को कोरोना के कारण मृत्यु हो गई। शव की रवानगी और अंतिम संस्कार कोविड गाइडलाइन से हुआ, लेकिन तब मृत्यु कोविड से होना नहीं माना।
केस – ०2
प्रवीण पीपाड़ा (४३) पुत्र नवरत्नमल पीपाड़ा को १९ अप्रेल की रात सांस लेने में परेशानी होने पर जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया। हालत और गंभीर होने पर उदयपुर चिकित्सालय रैफर कर दिया। कोरोना का उपचार लेने के दौरान २० अप्रेल को दिन में एक बजे उनकी मृत्यु हो गई। प्रवीण का शव बॉडी बैग में पैक करके भेजा गया। गाइडलाइन के अनुसार अंतिम संस्कार भी किया गया, लेकिन कोरोना मृतकों सूची में वह शामिल नहीं है।
केस – 03
चतुर्भुज पालीवाल (७१) पुत्र नाथूलाल पालीवाल ३० अप्रेल को संक्रमित हुए। ६ मई को ऑक्सीजन लेवल तेजी से घटने से उन्हें तुरन्त जिला चकित्सालय में भर्ती कराया गया। उपचार के दौरान ८ मई को चिकित्सालय में मृत्यु हो गई। कोविड गाइडलाइन से ही अन्तिम संस्कार किया गया। मृतक के पुत्र गिरिराज पालीवाल ने बताया कि पिता की मृत्यु का कारण कोरोना नहीं दर्शाया गया। समस्त उपचार कोरोना संक्रमण से सम्बंधित ही था।
केस – 04
उमर मोहम्मद रंगरेज पुत्र मोहम्मद की गत वर्ष 20 जुलाई को उदयपुर में कोरोना से मौत हो गई थी। अब्दुल रहमान पुत्र खुदाबख्श की एक जुलाई, 2020 को कोरोना के चलते मृत्यु हुई। दोनों के परिजन सम्बंधित अस्पताल में उपचार सम्बंधी रिकॉर्ड लेने के लिए राजसमंद से उदयपुर तक तीन-तीन बार चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। परिजन राजसमंद सीएमएचओ से मदद की गुहार लगा रहे हैं।
योगेश श्रीमाली @ कुंवारिया. कोरोना महामारी की त्रासदी झेल चुके परिवारों को अपनों की मौत को कोविड-19 से होना साबित करने में पसीने आ रहे हैं। सरकार ने मुआवजा देने का ज्योंही ऐलान किया, परिजन जरूरी दस्तावेजों को जुटाने के लिए अस्पतालों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें दस्तावेज नहीं मिल रहे हैं। ग्रामीण इलाकों के लोग अपनों की मौत के सबूत इकट्ठे करने के लिए परेशान हैं।
सरकार की ओर से सहायता राशि प्राप्त करने के लिए लोग यहां से वहां भटक रहे हैं। सरकारी मदद की सरकार ने घोषणा तो कर दी, लेकिन परिजनों को जरूरी कागजी कार्यवाही में अस्पताल और सम्बंधित चिकित्सा संस्थान सहयोग नहीं कर रहे हैं। पीडि़त और आहत परिवार अब राहत प्राप्त करने के लिए भी पापड़ बेलने को मजबूर हैं।
ग्रामीणों को नहीं मिल रही जानकारी: मृतकों के परिजनों को आर्थिक सहायता की घोषणा के बाद परिजनों को स्पष्ट जानकारी भी नहीं मिल पा रही है कि आवेदन कैसे करें, कहां करें, किसे जमा करवाना है, आवेदन के साथ क्या-क्या जरूरी दस्तावेज लगाने हैं।
जिनका आवेदन मंजूर, उन्हें क्या मिलेगी सहायता
जिन बच्चों के माता-पिता का निधन कोरोना बीमारी से हुआ है, उन्हें पहली बार में एक लाख की आर्थिक सहायता, फिर प्रतिमाह 2500 रुपए
बच्चों की 18 साल की उम्र पूरी होने पर एकमुश्त पांच लाख की मदद
12वीं कक्षा तक की पढ़ाई आवासीय स्कूल में निशुल्क
बेरोजगार युवाओं को भत्ता
कोरोना से जिन महिलाओं के पति की मौत हुई है, उन्हें एकमुश्त एक लाख की आर्थिक सहायता
महिलाओं को प्रतिमाह 1500 रुपए की पेंशन
विधवा महिलाओं के यदि बच्चे हैं, तो उन्हें अलग से 1000 की सहायता हर माह
बच्चों को ड्रेस व किताबें खरीदने के लिए सालाना 2000 रुपए
विभाग ने 167 व्यक्तियों की मौत मानी कोरोना से
चिकित्सा विभाग की ओर से जारी सूची के अनुसार जिले में २५ मई, २०२० से १७ जून, 2021 तक 167 व्यक्तियों की कोरोना से मृत्यु हुई।
कोरोना से मृत्यु होने पर परिवारजनों को सरकार की ओर से सहायता की घोषणा के तहत शहरी क्षेत्र के २७ व ग्रामीण क्षेत्र के १९ आवेदन प्राप्त हुए हैं। सरकारी सहायता के लिए आवेदन में एक अप्रेल, २०२० के बाद कोरोना से मृत्यु होने के चिकित्सालय के प्रमाण-पत्र, जांच रिपोर्ट, उपचार की पर्चियां व आवश्यक दस्तावेजों को संलग्न करना होगा।
डॉ. राजकुमार खोलिया, ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी, राजसमंद

Hindi News / Rajsamand / मुआवजे की मरहम : मौत साबित करना मुश्किल

ट्रेंडिंग वीडियो