खमनोर में दान की भूमि पर तहसील के नए भवन का निर्माण तो हो गया, मगर नवनिर्मित भवन तक रास्ता दर्ज कराने के लिए जमीनों के जुगाड़ में लगे राजस्व विभाग को फिलहाल पूरी सफलता मिलती दिख नहीं रही है। तहसील से लेकर कलक्टर कार्यालय तक इन दिनों ये मामला चर्चा में है। वर्ष 2013 तक खमनोर उपतहसील थी, जिसे तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मलीदा स्टेडियम में आयोजित एक सभा में तहसील में क्रमोन्नत करने की घोषणा की थी। उसके बाद 5 वर्ष तक वसुंधरा राजे सरकार में भी तहसील के लिए उपयुक्त जमीन तक नहीं मिल पाई। हालांकि प्रशासनिक अधिकारी 7 वर्षों तक जमीने खंगालते रहे। कलक्टर, एसडीएम, तहसीलदार कभी खमनोर कस्बे में हवा मगरी, कभी खमनोर-शाहीबाग रोड पर पुलिस थाने के आगे पड़ी तहसील के नाम की जमीन, कभी डाबुन रोड से सटी बिलानाम सरकारी जमीन तो कभी मोलेला में सरकारी जमीन पर तहसील भवन व परिसर बनाने के लिए संभावनाएं तलाशते रहे।
कहीं पर भी उपयुक्त जमीन तय नहीं कर पाए। नया भवन बनाने के लिए जमीन की जरूरत ने राजस्व विभाग को इतनी दयनीय स्थिति में ला दिया कि आखिरकार उसे तहसील बनाने के लिए भूमि दान में लेनी पड़ी। दान में मिली जमीन पर करोड़ों रुपए की लागत से अब जब भवन बनकर तैयार है तो रास्ते को लेकर माथापच्ची शुरू हो गई है। इसे जिम्मेदारों की अदूरदर्शिता कहें या कुछ और, नवनिर्मित तहसील भवन लोकार्पण के लिए लगभग तैयार हो चुका है, लेकिन तहसील तक जाने के लिए राजस्व रिकार्ड में सार्वजनिक रास्ते व मौके पर सुगम सड़क की अब भी दरकार बनी हुई है।
2021 में तहसील को 3 बीघा भूमि दान
तहसील कार्यालय का नया भवन बनाने के लिए 16 अगस्त 2021 को उदयपुर के हिरणमगरी निवासी टीकमसिंह पुत्र जसवंतसिंह राव ने खमनोर में अपनी क्रयशुदा खातेदारी भूमियों में से 3 बीघा जमीन तहसील कार्यालय खमनोर (राजस्व विभाग) के नाम तहसीलदार के जरिये दान की। दान की गई भूमि 17 अगस्त 2021 को नामांतरण संख्या 3293 के आधार पर खसरा नंबर 5337/5332 के रूप में तहसील कार्यालय खमनोर के नाम दर्ज हुई।
8 टुकड़ों का समर्पण, फिर भी रास्ता अधूरा
खमनोर-हल्दीघाटी मेगा हाईवे 162-ई से लगाकर जहां तहसील भवन बना, वहां तक रास्ता बनाने के लिए 7 निजी खातेदारों की भूमियों व उपतहसील की स्वयं की जमीन में से कई टुकड़ों का समर्पण किया गया, फिर भी तहसील तक रास्ता नहीं जोड़ पाए। मेगा हाइवे से लगता खसरा जो कि पूर्व में उपतहसील खमनोर के नाम दर्ज था, उसमें से तोड़कर आठ टुकड़ों में भूमियां रास्ते के लिए समर्पित कर राजस्व रिकार्ड में दर्ज की गई।
ये ये भी नहीं पता की रास्ते में क्वार्टर या क्वार्टर में अब रास्ता!
पूर्व में उपतहसील के नाम दर्ज जमीन में से रास्ते के लिए जो भूमि समर्पित की गई, उसे लेकर भी असमंजस की स्थिति है। क्यों कि मौके पर दशकों पहले से पुलिस थाने के आवासीय क्वार्टर बने हुए हैं। पुलिस के आवासों में से अंतिम क्वार्टर के पास मोड़ पर रास्ते की भूमि इतनी संकरी है कि एक चौपहिया वाहन बड़ी मुश्किल से निकल पाता है। ऐसे सवाल ये है कि मौके पर स्थित 8 फीट चौड़े रास्ते को कैसे नियमानुसार एप्रोच रोड माना जा रहा है।
समर्पित भूमियों का रास्ता जहां खत्म, वहां से भवन अभी दूर
तहसील का नवनिर्मित भवन राजस्व गांव खमनोर के नक्शे में पूर्व दिशा में स्थित खमनोर-हल्दीघाटी रोड (मेगा हाइवे) व पश्चिम दिशा में खमनोर से डाबुन जाने वाली सड़क के बीच पहाड़ी भूमि पर बनाया गया है। मेगा हाइवे से लगते खसरे में उपतहसील और उसके बाद निजी खातेदारों की भूमियों में से रास्ते के लिए भूमि समर्पण का जो सिलसिला चलाया गया, उससे भी तहसील भवन तक रास्ता नहीं बन पाया। वर्तमान में दर्ज डिजिटल राजस्व रिकार्ड देखने पर पता चलता है कि जो भूमियां सरेंडर कर रास्ते में दर्ज की गई, वहां से तहसील भवन के बीच में अभी और भी निजी खातेदारी भूमियां स्थित हैं। रास्ते के लिए समर्पित भूमियों के आकार भी असमान, बेतरतीब और कहीं तो छूटे हुए हैं।