समिति के प्रदेश उपाध्यक्ष जिलाध्यक्ष गंगाराम भील, उदयलाल, तहसील अध्यक्ष हजारीलाल, राजसमन्द भीमराज भील, नाथद्वारा आसाराम, खमनोर कन्हैयालाल, रेलमगरा मीठालाल, आमेट मोतीलाल, चारभुजा योगेश कुमार, देवगढ़ बालूराम, कुंवारिया हजारीलाल कुम्भलगढ़ आदि ने कहा कि हाल ही देश की शीर्ष अदालत ने अहम फैसला सुनाया है, इसमें यह माना कि आरक्षण सुविधा प्राप्त होने के बावजूद लाभार्थी वर्ग में एक तबका ऐसा है जो आरक्षण का अपेक्षित लाभ लेने में समर्थ नहीं हो पाया है।
शिक्षा एवं जागरूकता की कमी जैसे कई कारण रहे हैं, जिसकी वजह से यह वर्ग आरक्षण सुविधा होते हुए भी पिछड़ रहा है तथा अभी भी विकास एवं उन्नति की मुख्य धारा में नहीं पहुंच पाया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सात सदस्यी न्यायाधीशों की पीठ ने कहा है कि जिन्हें अब तक आरक्षण का उपयुक्त लाभ नहीं मिला है, उन्हें लाभ दिया जाना चाहिए। ऐसे वंचित वर्ग को आरक्षण का लाभ पहुंचाने के लिए आरक्षण कोटे में से विशेष कोटा दिया जाए।
पदाधिकारियों ने कहा कि न्यायालय के उक्त आदेश के बाद वंचित वर्ग को राहत मिलने की उम्मीद बंधी है, परन्तु आरक्षण का निरन्तर लाभ लेते आ रहे लोग इसका विरोध कर रहे है जो न्यायसंगत नहीं है। उन्होंने कहा कि उक्त लाभार्थी समुदाय से जुड़े कतिपय संगठनों ने इसके विरोध में बुधवार को बंद का आह्वान किया है, लेकिन
राजस्थान भील समाज विकास समिति इसका समर्थन नहीं करेगी।
उन्होंने बंद को लेकर आपत्ति एवं रोष जताया है। सुप्रीम कोर्ट के उक्त आदेश से समाज में उम्मीद जागी है, ऐसे में समाज न्यायालय के आदेश का स्वागत करता है। साथ ही उन्होंने सरकार से पुरजोर मांग की है कि अदालत के आदेश की पालना सुनिश्चित कराने के लिए तत्काल कार्रवाई की जाए।