श्री द्वारकाधीश मंदिर के मुख्य द्वार के बगल में जर्जर भवन को ढहाकर मैदान तैयार किया गया। यहां से न सिर्फ पूरे शहर का विहंगम दृश्य दिखता है, बल्कि विशेष पर्व, महोत्सव व मनोरथों में भगदड़ की स्थिति भी नहीं बनेगी। मुख्य द्वार पर मैदान तैयार होने से पहली बार श्रीनाथजी मंदिर की तर्ज पर कांकरोली में श्री द्वारकाधीश मंदिर के द्वार पर गौ क्रीड़ा होगी। श्री कृष्ण भाव से गायों को रिझाने च खेलाने की परंपरा है, जिसे देखने के लिए शहरवासियों के साथ गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश तक से भी हजारों की तादाद में श्रद्धालु आते हैं।
कांकरोली के साथ बोडेली (गुजरात), हालोल (गुजरात), न्यूजर्सी (अमेरिका), उदयपुर, सुखधाम (बड़ौदा), मेहसाणा (गुजरात), जबुगांव (गुजरात), पाटण (गुजरात), नसवाड़ी (गुजरात), मेहमदाबाद (गुजरात), माकवा (राजस्थान), डभोई (गुजरात), बायड़ (गुजरात) में श्री द्वारकाधीश मंदिर है। इसी तरह श्री महाप्रभुजी की बैठक, मानसरोवर (व्रज), श्री मदनमोहन मंदिर नागपुर (महाराष्ट्र), श्री गोवर्धननाथ हवेली अलकापुरी (बड़ौदा), श्री बैठक मंदिर आणंद (गुजरात), श्री दयालजी मंदिर आणंद (गुजरात) व श्री मरजादी मंदिर, कठलाल (गुजरात) में है।
कांकरोली के मंदिर में श्री द्वारकाधीश के साथ दाऊजी व गोवर्धननाथ के भी स्वरुप है। इसके अलावा मथुराधीश जी का भी मंदिर स्थित है। चारों स्वरुपों की सेवा की परम्परा एक ही तरह की है।
दीपावली के दिन श्री द्वारकाधीश प्रभु को अष्ट पहलू में बिराजित किया जाएगा। शयन दर्शन में कान्ह तिबारी में श्री प्रभु के समक्ष कान्ह जगाई की रस्म निभाई जाएगी। ग्वाल बाल हीड़ का गायन करेंगे। एक गाय कमल चौक में पहुंचेगी, जहां गायों को कान जगाई की रस्म है। दूसरे दिन गोवर्धन पूजा के अवसर पर गोशाला से सौ गायें गोवर्धन चौक पहुंची, जहां से सात गायें मुख्य द्वार पर गौ क्रीड़ा करेंगी।
पुष्टि परंपरा के तहत निज मंदिर में पीठाधीश व गोस्वामी परिवार के अलावा मुखियाजी, भीतरिया के अलावा अन्य लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित है। ठाकुरजी के स्वरुप की तस्वीर खींचना भी वर्जित है। इसके तहत मंदिर में कोई भी व्यक्ति मोबाइल व कैमरा भी नहीं ले सकता।