हालांकि मंदिर प्रबंधन द्वारा बगैर अग्रिम नोटिस दिए सात कार्मिकों को एकाएक हटा दिया गया, जिससे श्री द्वारकाधीश मंदिर ट्रस्ट की कार्यप्रणाली ही सवालों के घेरे में आ गई है। इधर, वर्षों से मंदिर से सेवारत कार्मिकों को बिना ठोस कारण बताए हटाने पर कुछ कार्मिकों ने श्री द्वारकाधीश मंदिर प्रबंधन के खिलाफ श्रम महकमे में दावा पेश कर दिया है।
READ MORE: शेर का मुखौटा पहने प्रकट हुए नृसिंह भगवान, लगे जयकारे श्री द्वारकाधीश मंदिर ट्रस्ट प्रबंधन द्वारा सेवा समाप्त करने के पत्र के जरिये श्री द्वारकेश गौशाला व्यवस्थापक मदन सनाढ्य (67), वीआईपी सेवक द्वारकादास सनाढ्य (67), प्रसाद भंडारी गोविंद शर्मा (68 ), मंदिर पंडित गोवर्धन पंड्या (70), गादी सफाईकर्मी महेंद्र नाई (35), सेवक हजारी जाट (65) व ओमप्रकाश व्यास को बिना ठोस कारण बताए तत्काल हटाने के आदेश दे दिए। कार्मिकों का कहना है कि उन्हें सिर्फ इसलिए हटाया कि वे मंदिर प्रबंधन की नजर में गोस्वामी पराग कुमार व गोस्वामी शिशिर कुमार की भी सेवा करते हैं। समूचे शहर में भी लोग सात कार्मिकों को हटाने के पीछे पीठाधीश व उनके छोटे भाईयों के बीच चल रहे मतभेद को ही कारण बता रहे हैं।
इधर, मदन सनाढ्य ने बताया कि बिना कारण बताए हटाने पर श्रम विभाग में दावा कर दिया है। अब कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी। पहले उम्रदराज, अब काम नहीं बताया : मंदिर प्रबंधन द्वारा पहले मौखिक तौर यह कहा गया था कि उन्हें उम्रदराज होने की वजह से हटाया जा रहा है। इस पर 35 वर्षीय महेंद्र नाई को हटाने व उनसे भी ज्यादा उम्र वाले कार्मिकों के कार्यरत होने की बात पर विरोध के स्वर मुखर हुए, तो मंदिर प्रबंधन ने उनके लिए कोई कार्य नहीं होने की बात बताई है। हालांकि कोई कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है।
मंदिर में ये भी उम्रदराज कार्मिक मुख्य अधिकारी भगवतीलाल पालीवाल (75), द्वितीय अधिकारी गणेशलाल सांचीहर (6 5) ठाकुरजी के मुखिया रामचंद्र सांचीहर (71), गौशाला के कार्मिक शंभू गुर्जर (70), सुरक्षा प्रभारी मानसिंह चारण (65), गार्ड हमेरसिंह (70), खाता भंडारी मणीकांत सनाढ्य (70), विट्ठल सनाढ्य (70), झापटिया पे्रमसिंह गौरवा (72), झापटिया रमेश (72) है, जिनकी औसतन उम्र अन्य कार्मिकों ने यही बताई है।
READ MORE: परीक्षा समय से छह घंटे पूर्व व्हॉट्सएप पर आ गया पेपर सामने नहीं आ पाई सच्चाई 21 जून 2015 को द्वारकाधीश मंदिर में गर्भगृह में आग से सिंहासन, पर्दे, जेवर जल गए और ठाकुरजी की मूर्ति को भी ताप लगा। राजसमंद उपखंड अधिकारी व डीएसपी राजसमंद के नेतृत्व में टीम गठित की, मगर आग लगने के कारण स्पष्ट नहीं हो पाए। फिर भी आग लगने के वास्तविक कारण सामने नहीं आए, जिससे पूरी घटना की सच्चाई पर पर्दा ही रहा। अक्टूबर 2016 में कांकरोली पुलिस थाने में प्रकरण दर्ज होने के बाद मामला सीआईडी (अपराध शाखा) को रेफर कर दिया।
8 अक्टूबर 2016 को श्री द्वारकाधीश मंदिर में श्री प्रभु की नकली मूर्ति मिली, जिसे एसडीएम राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल द्वारा सीज कर कमरे में रखी दी। आखिर यह मूर्ति मंदिर में कैसे पहुंची और न कौन लाया। यह रहस्य आज भी बरकरार है। जिला प्रशासन ने तो जांच करवाना भी उचित नहीं समझा। कपिल कुमार रिपोर्ट पर 241/2016 के तहत कांकरोली थाने प्रकरण दर्ज हुआ। पुलिस जांच शुरू नहीं की और प्रकरण सीआईडी सीबी उदयपुर को रेफर कर दिया, मगर जांच के परिणाम अब भी सामने नहीं आए।