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पूनम बचपन में दाऊ मंदराजी के नाच पार्टी में बाल कलाकार थीं। यहीं से कला मंच की शुरुआत हुई। पूनम ने बताया कि जब कलाकारी की शुरुआत की तो उस दौर में संसाधनों का बेहद अभाव था। प्रस्तुति देने के लिए बैलगाड़ी तो कभी पैदल या फिर साइकिल से सफर तय करते थे। बताया कि दुर्ग के संतराबाड़ी में एक बार नाच का कार्यक्रम था और यहां प्रस्तुति दे रहीं थीं तब प्रख्यात रंगकर्मी स्व. हबीब तनवीर भी मौजूद रहे।खुद की संस्था भी चला रहींपूनम ने बताया कि हबीब तनवीर के नया थियेटर से जुडऩे के बाद ही रंग छत्तीसा लोक रंग मंच संस्था का गठन कर लिया था। आज भी इस संस्था के माध्ध्यम से लोक, सांस्कृतिक और परंपरागत गीतों की प्रस्तुति देती आ रहीं हैं। राज्य सरकार की ओर दाऊ मंदराजी सम्मान भी मिल चुका है।