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Pandit Pradeep Mishra: आखिर चिकना सा शिवलिंग ही क्यों पूजा जाता है, जानें इसके पीछे की पूरी कहानी बताया कि बहुत सारे पुराने शिव मंदिरों में कछुआ होता है। पंडित कहते हैं कि उस कछुए से हमें शिक्षा मिलती है कि जब तुहें संसार के लोग परेशान करे, तंग करें, तो उस समय अपनी इंद्रियों पर संयम रखो, जिस तरह कछुआ अपना हाथ-पैर, आंख-कान सब समेट लेता है। जब समस्या टल जाए, तब धीरे-धीरे चलना प्रारंभ करो और अपने मंजिल तक पहुंच जाओ। उन्होंने कछुए से अपनी ही दिशा में चलने की सीख लेने की बात कही। किसी के भड़काने पर अपना मार्ग या धर्म मत बदलो। आखिरी में सनातन धर्म और शिवतत्व की प्राप्ति की ओर ही जाना पड़ेगा।
उन्होंने पूछ कि भोलेनाथ आपसे क्या मांगते हैं? वो कहते हैं, जो आपका है, उसे मुझे दे दो, तो यहां धन-दौलत, फूल, दूध-दही यहां तक आपका शरीर भी तो आपका नहीं है, तो क्या दोगे, भगवान कहते हैं आप अपना अहंकार मुझे दे दो। व्यक्ति के भीतर उत्पन्न होने वाला अहंकार ही तुहारा है।
भगवान ने रावण से भी अपना अभिमान को त्यागने कहा, उन्होंने नहीं माना तो वहीं उसके मृत्यु का कारण बन गया। भगवान को यदि कुछ नहीं दे सकते तो मंदिर जाकर उसकी भक्ति कर या फिर कथा सुनकर समय भी देते हो तो भी भगवान आपकी सुन लेगा।
उन्होंने कहा कि दुनिया की सबसे बड़ी दौलत आपकी श्रेष्ठ बुद्धि है। घर में धन-दौलत, प्रापर्टी, गाड़ी, बंग्ला है, लेकिन बच्चे बद्धविहीन है, वे इन रुपयों-पैसों को मदिरालय, मांसाहार, वेश्यावृत्ति, जुआ-सट्टा जैसे गलत मार्ग पर लगाता है, तो वह खत्म हो जाएगा। इंसान का सबसे बड़ा हथियार धैर्य है। संभलकर चलो। अक्सर लोग क्रोध में आकर गड़बड़ कर जाते हैं। भगवान शंकर विनाश के देवता नहीं हैं। वे भगवान की भक्ति में डूबे व्यक्ति का संघार नहीं करते। शिव संघार के नहीं, संसार के देवता हैं। भगवान भोलेनाथ की भक्ति से काम, वासना और अशांति दूर होती है। शिवजी ने कामदेव को भस्म किया।