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किसानों का कहना है कि दलहन-तिलहन लगाने से नुकसान होने पर शासन-प्रशासन की ओर से उन्हें मुआवजा नहीं मिलता। पूर्व में भी प्रभावित किसानों को चना फसल की क्षतिपूर्ति की राशि आज तक नहीं मिली, इसलिए वे दलहन-तिलहन में रूचि नहीं दिखा रहे।
धान की खेती करने की मजबूरी
फसल चक्र परिवर्तन को लेकर ग्राम सुकुलदैहान, डोंगरगढ़ और डोंगरगांव क्षेत्र के विभिन्न गांव के किसानों का कहना है कि एक किसान धान ले रहा और पड़ोस का किसान चना ले रहा। इस स्थिति में धान लगाए किसान के खेत का पानी चना फसल को प्रभावित कर सकता है। चना फसल ज्यादा पानी से बर्बाद भी हो सकता है। इस परिस्थिति में भी कई किसानों को मजबूरन धान की खेती लेनी पड़ती है।
ठेलकाडीह क्षेत्र के कुछ गांव के किसानों ने बताया कि वर्ष-2022-23 में रबी सीजन में उन्होंने अपने खेत में चना और सरसों की फसल लगाई थी। बेमौसम बारिश होने से चना और सरसों की फसल पूरी तरह से तबाह हो गई। इसमें किसानों को प्रति हेक्टेयर 25 हजार रुपए का नुकसान हुआ था। क्षतिपूर्ति राशि के लिए उन्होंने शासन-प्रशासन से कई बार गुहार लगाई, लेकिन आश्वासन के सिवाए कुछ नहीं मिला। यही वजह है कि किसान धान ही लगाना चाहते हैं।
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दलहन-तिलहन लगाने मिला लक्ष्यकृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष-2022-23 में निर्धारित क्षेत्रफल में दहलन-तिलहन फसल लगवाने लक्ष्य रखा गया था, लेकिन कृषि विभाग के अफसरों का कहना है कि वे किसानों को प्रेरित कर सकते हैं, दबाव डालकर मजबूर नहीं कर सकते।