सबसे बुरी स्थिति राजनांदगांव विकासखंड के घुमका अंचल की बताई जाती है। क्षेत्र के घुमका, मोहंदी, उपरवाह, पटेवा, भैंसातरा, हरडुवा आदि संकुल में प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्तर की शिक्षा व्यवस्था की हालत बेहद खस्ता बताई जा रही है। हालांकि कई स्कूलों में विद्यार्थियों व शिक्षकों का अनुपात भी असमान बताया जा रहा है। जबकि युक्तियुक्त करण के तहत शुरुआत में ही शिक्षकों को व्यवस्थित कर दिया जाना था परंतु ऐसा नहीं हो सका। एपीजे कलाम शिक्षा गुणवत्ता अभियान से लेकर और भी कई तरह के गुणवत्ता सुधार के प्रयासों का नाम मात्र भी क्षेत्र में बेहतर प्रभाव नहीं हो पाया।
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में न्यूनतम अधिगम की अपेक्षित क्षमता तक हासिल नहीं किया जा सका है। यहां तक बताया जाता है कि अधिकांश शिक्षकों को न्यूनतम अधिगम क्षमता के मापदंडों की पूरी जानकारी तक नहीं हो पाई है। वहीं लर्निंग आउटकम के लिए समग्र शिक्षा अभियान के तहत जारी किए गए गाइडलाइन का ज्यादातर स्कूलों में अता पता तक नहीं है। जबकि शिक्षा व्यवस्था को बेहतर और प्रभावी बनाने के लिए राजीव गांधी शिक्षा मिशन और सर्व शिक्षा अभियान को मर्ज कर समग्र शिक्षा अभियान के तहत पूरे प्रदेश में शिक्षा गुणवत्ता को लेकर लगातार दिशा निर्देश जारी किए जा रहे हैं।
कुल मिलाकर प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्तर के शिक्षा व्यवस्था को सुधारने में विभाग के अधिकारियों की अनदेखी के चलते बेलगाम शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह पटरी से उतर चुकी है तथा राज्य शासन की सभी योजनाओं में खरा नही उतर पाने को लेकर सत्ता पक्ष के क्षेत्रीय स्थानीय एवं उच्च स्तर के जनप्रतिनिधि भी काफी नाराज बताए जा रहे हैं। जिसको लेकर सूत्रों के अनुसार फिलहाल स्थगित बजट सत्र के बाद कई जिम्मेदारों पर तगड़ी कार्रवाई की गाज गिर सकती है। हालांकि अभी कोरोना को लेकर छुट्टियों के चलते जनरल प्रमोशन की बाट जोह रहे शिक्षकों को गुणवत्ता अभियान से निश्चितता को लेकर झटका लग सकता है। कारण कि प्राथमिक से लेकर अन्य स्थानीय परीक्षाओं के पेपर भी आ चुके हैं।