11 अप्रैल को बसंतपुर निवासी विष्णु साहू को जिला अस्पताल में दाखिल किया गया था। उनका कोविड टेस्ट नेगेटिव था लेकिन सांस लेने में समस्या थी। ऑक्सीजन लेवल 70 तक गिर चुका था। डॉक्टरों ने उनका निमोनिया बढऩे की बात कही थी। सांस लेने में तकलीफ के बावजूद उन्हें अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं लगाया जा रहा था। अस्पताल में ऑक्सीजन उपलब्ध न होने की बात कही जा रही थी। वे आईसीयू के बेड नं 104 में भर्ती थे। ऐसे में मरीज की बेटी निकिता ने खुद ही जहां-तहां से ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की। बावजूद इसके अस्पताल प्रबंधन मरीज को ऑक्सीजन देने में लापरवाही करता रहा। जानकारी के अनुसार मरीज को कुछ देर के लिए वेंटिलेटर सपोर्ट पर भी रखा गया लेकिन इसे भी भी हटा दिया गया। मंगलवार को आखिकर विष्णु साहू की मौत हो गई।
इस मामले का वीडियो भी है जिसमें निकिता अपने पिता के ईलाज में लापरवाही की शिकायत सीधे अधीक्षक प्रदीप बेक से कर रही है। इस दौरान अधीक्षक उसे बेहतर ईलाज का आश्वासन देते हैं। निकिता जब सवाल करती है कि अगर मेरे पापा को कुछ हुआ तो क्या आप जिम्मेदारी लेंगे? इस सवाल के बाद अधीक्षक खामोश हो जाते हैं। जब अधीक्षक से ईलाज में लापरवाही की शिकायत की गई थी तब ही उन्हें बताया गया था कि ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध करवाने के बाद भी मौजूद नर्स, स्टॉफ मरीज को ऑक्सीजन नहीं लगा रहे हैं। यह सिलसिला इस शिकायत के बाद भी चलता रहा। बिस्तर के पास ही रखे ऑक्सीजन मरीज को देने में भी कोताही बरती गई।
मंगलवार 13 अप्रैल को मरीज विष्णु साहू ने आखिर लचर व्यवस्था के सामने हार मानते हुए दम तोड़ दिया और एक बेटी की अपने पिता को बचाने की जद्दोजहद भारी निराशा और बेबसी के साथ खत्म हो गई। इस घटना के बाद से मृतक के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। अब सवाल उठ रहा है कि एक परिवार से उसका मुखिया और बच्चों के सिर से पिता का साया छिनने वाले जिम्मेदारों का क्या? क्या जिला अस्पताल अब महज वह काल बनकर रह गया है जहां जीवन बचने-बचाने की संभावनाएं खत्म हो रही है। प्रबंधन के खिलाफ सवाल उठ रहे हैं। मंगलवार शाम तक के अपडेट में कोविड हॉस्पिटल पेंड्री से 15 और बसन्तपुर हॉस्पिटल में तीन मरीजों की मौत हुई है।