प्रथम दिवस शैलपुत्री, द्वितीय ब्रम्हारिणी की पूजा हुई। तृतीय चंद्रघंटा, चतुर्थ कुष्मांडा, पंचमी स्कंद माता, षष्टी कात्यायनी, सप्तमी कालरात्रि, अष्टमी महागौरी व नवमी को सिद्धिदात्री के रूप में माता देवी मंदिरों में पूजी जाएगी। इस दौरान भक्तों द्वारा प्रत्येक दिन अलग-अलग रंग के नए वस्त्र माता को धारण कराया जाएगा। सुबह 5 बजे रोज माता का श्रृंगार किया जाएगा। पंचमी पर माता का विशेष श्रृंगार व सप्तमी में विशेष कालरात्रि अभिषेक होगा।
पंचमी के दिन माता को सोनें का मुकुट धारण कराया जाएगा। चैत्र नवरात्र मां बम्लेश्वरी ऊपर मंदिर की यह तस्वीर तीन किमी दूर बूढ़ादेव पहाड़ी से ली गई है। मंदिर के सजावट की रोशनी व मेला ग्राउंड से लेकर पूरे परिसर की लाइटिंग पूरे धर्मनगरी में बिखर रही है। करीब एक हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित मां बम्लेश्वरी देवी के दरबार पर पहुंचने के लिए 1100 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है।