CG Hospital News: मरीजों को दिखाया जा रहा बाहर का रास्ता
छोटे शहर होने के साथ ही राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जांच मशीन और उपकरणों की कमी होने के कारण भी यहां डॉक्टर आना नहीं चाहते। इसका फायदा यहां के निजी
अस्पतालों को मिल रहा है, क्योंकि मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पहुंचने वाले मरीजों को हायर सेंटर रेफर के नाम पर बड़े चालाकी से यहां के निजी अस्पतालों में शिट करने का खेल चल रहा है। निजी अस्पताल प्रबंधन इसके लिए सरकारी अस्पताल के स्टाफ नर्स से लेकर डॉक्टरों को कमीशन दे रहे हैं। अस्पताल में निजी हास्पिटल के पीआरओ घूम रहे हैं।
दस सालों में नहीं हुई भर्ती
राजनांदगांव में 2014 से मेडिकल कॉलेज अस्पताल का संचालन हो रहा है। शुरू से ही यहां विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है। इसके अलावा यहां कभी तृतीय और चतुर्थ वर्ग
कर्मचारियों की भर्ती भी नहीं ली गई। स्टाफ नर्स सहित चतुर्थ वर्ग कर्मचारियों की भी भयंकर कमी बनी हुई है। अब तो हाल यह है कि सुरक्षा गार्ड देने वाली ठेका कंपनी के कर्मचारियों से भी अस्पताल से जुड़े लिपिक व अन्य कर्मचारियों का काम कराया जा रहा है।
निजी अस्पताल वाले उठा रहे फायदा
मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पेंड्री में जाने के बाद से उस क्षेत्र में पिछले दो से तीन सालों में दर्जनभर से अधिक निजी हास्पिटल खुल गए हैं। इनमें से ज्यादातर
अस्पताल मेडिकल कॉलेज में कार्यरत या फिर वहां से नौकरी छोड़ने वाले डॉक्टरों के हैं। वहां उनकी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दखल है।
सीटी स्कैन और एमआरआई मशीन का पता नहीं
मेडिकल कॉलेज अस्पताल के नार्स के मुताबिक वहां सीटी और एमआरआई मशीन होनी चाहिए, लेकिन यहां पिछले दस सालों में सिर्फ आश्वासन के भरोसे ही काम चल रहा है। ऐसे में राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज अस्पताल को किस आधार पर सिर्फ आश्वासन के भरोसे एमसीआई की टीम मान्यता दे रही है। यह भी समझ से परे हैं। एक बात जरूर है कि जिले में चिकित्सा सुविधा के लिए राजनीति भी दोनों प्रमुख पार्टियाें के प्रतिनिधि व बड़े नेता करते रहते हैं।
पीआरओ एमसीएच के डॉ. पवन जेठानी ने कहा की एमसीएच में डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए रोजाना वॉक इन इंटरव्यू किया जा रहा है। कुछ डॉक्टरों ने ज्वाइनिंग भी ली है। अब यहां डॉक्टरों क्यों नहीं आना चाहते ये कहना मुश्कि है।