शिकायत बाद जांच जारी है। इस बड़े घोटाले का खुलासा होने से हड़कंप मचा हुआ है। फर्जीवाड़ा की जांच में सामने आया है कि कार्यालय में ही पदस्थ कर्मी की नाबालिग बेटी, अपनी ननद, अपने ड्राइवर की मां और एक अन्य आदिवासी व्यक्ति के नाम से केज आवंटन कराया कराया।
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मत्स्य विभाग संचालनालय इस फर्जीवाड़े की जांच कर रहा है। विभागीय अधिकारियों ने 28 मई को जलाशय पहुंचकर जांच की। जबकि 29 मई को राजनांदगांव स्थित दफ्तर में लाभार्थियों का बयान दर्ज कर जांच प्रतिवेदन तैयार किया है। संयुक्त संचालक एसके साहू ने जांच जारी होने की पुष्टि की है।
मछली पालन के लिए मछुवारों को केज कल्चर खरीदी के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 60 प्रतिशत और एलडब्लूई (लेफ्ट विंग एक्सट्रीमिस्म डिवीजन) से 40 प्रतिशत का अनुदान दिया जाता है। मतलब मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए 100 % अनुदान के रूप में आर्थिक सहायता मिलती है। योजना की राशि हड़पने के लिए विभागीय अफसरों द्वारा यह पूरी कूटरचना करते हुए विभाग के अधिकारियों ने बड़े फर्जीवाड़े को अंजाम देते हुए केज आबंटन में दो करोड़ 16 लाख रुपए का घोटाला कर दिया।
अनुदान राशि गटकने के लिए ऐसे किया गया खेल
विभाग के अधिकारियों ने जितनी चालाकी से पात्र हितग्राहियों को अपात्र कर अपने लोगों के नाम आवेदन भरा। उतनी ही चालाकी से उनके खातों में आने वाली सब्सिडी की राशि को फर्म को सीधे भुगतान करने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करा लिए। फर्म के खाते में आई राशि का आहरण हो गया, उधर आवेदन करने वालों को इसकी दूर-दूर भनक तक नहीं लगी।
ननद और ड्राइवर की बेटी के नाम आवंटन
इसमें शामिल लाभार्थी राजनांदगांव स्टेशन पारा निवासी सरोज मोटघरे असल में विभाग में कार्यरत ड्राइवर की मां बताई जा रही है। विभाग को इनका पता भी नहीं मिल रहा है। इसी तरह दुर्गेश नंदनी के नाम से भी केज आबंटित हुआ है। यह विभाग में पदस्थ भृत्य की बेटी बताई जाती हैं, जो कि राजनांदगांव के बख्तावर चाल निवासी हैं। जानकारी है कि जब उनके नाम पर केज स्वीकृत किया गया तब वह नाबालिग थीं।
इसी तरह हेमलता रामटेके तात्कालीन सहायक संचालक गीतांजलि गजभिए की ननद बताई जा रहीं हैं। यह भी राजनांदगांव में रामनगर निवासी बताई बताई जा रही हैं। चौथा केज भुवन पोर्ते के नाम पर से आबंटित किया गया है जो कि केसीजी जिले के ग्राम भोथली निवासी हैं।
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नोटिस के बाद खुलासा
घोटाले में हैरान करने वाली बात यह है कि जिन हितग्राहियों को योजना का लाभ देने के दस्तावेज प्रस्तुत किए उन्हें मालूम तक नहीं है। सिंचाई जलाशय में लगाए गए 4 केज में से एक भुवन पोर्ते के नाम पर आबंटित हुआ है, मत्स्य विभाग ने इस केज के तीन साल के लीज वसूली के लिए जब उसे नोटिस जारी किया तो वह हड़बड़ा कर विभाग पहुंचा। अधिकारियों ने उसे सारी जानकारी दी, तो पैरों तले से जमीन खिसक गई। भुवन ने कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और सहायक संचालक को मामले की शिकायत की।
चार हितग्राहियों को 54-54 लाख रुपए का अनुदान
शिकायतकर्ताओं के बयान के आधार पर 2021 में विभाग तात्कालीन सहायक संचालक गीतांजलि गजभिए ने योजना के तहत मिलने वाली सब्सिडी की राशि को पूरी तरह हड़पने के उद्देश्य से कार्यालय में ही पदस्थ कर्मी की नाबालिग बेटी, अपनी ननद, अपने ड्राइवर की मां और एक अन्य आदिवासी व्यक्ति के नाम से केज आवंटन कराया कराया। यह केज खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले के नवागांव स्थित सिंचाई जलाशय में लगाए जाने की जानकादी दी। प्रत्येक हितग्राही को आवंटित केज कल्चर में 54 लाख रुपए की सब्सिडी मिलनी थी। चार यूनिट केज की कीमत 2 करोड़ 16 लाख रुपए होगी।
मत्स्य विभाग सहायक संचालक एसके साहू का कहना है कि केज कल्चर आवंटन के नाम पर मिलने वाली सब्सिडी में गड़बड़ी करने की शिकायत एक हितग्राही द्वारा की गई है। मामले की जांच संचालनालय द्वारा कराई जा रही है। जांच टीम के प्रतिवेदन के अनुसार वहीं से कार्रवाई होगी।