खराब हो चुकी और सड़ चुकी प्याज को सिर्फ फेंकना ही एक माध्यम रह जाता है। बारिश में इसके और अधिक खराब होने की संभावना रहती है, इसलिए किसान या कारोबारी इसे बाहर फेंकना चाहते हैं। जगह-जगह प्याज के ढेर अब मिल रहे हैं। कुछ लोग इन्हें रोडियों में डाल रहे हैं तो कुछ अन्य जगह फेंक रहे हैं। किसानों सहित कुछ कारोबारी ने अच्छे मुनाफे की उम्मीद से तैयार हो चुकी प्याज को खरीदकर सहेज लिया लेकिन अब उन्हें नुकसान उठाना पड़ा है। इधर किसानों ने भी पिछले साल अच्छे भाव की उम्मीद में भरपूर पैदावार की, अच्छे रकबे में प्याज रही लेकिन अब इसकी दशा देखकर रब्बा कम होने की संभावना नजर आ रही है।
भाव भी 2 रुपए से 18 रुपए प्रति किलो अच्छे भाव की उम्मीद से संग्रह कर रखे गए प्याज को महज 2 से 18 रुपए किलो भाव मिल रहे हैं। जिससे लागत मूल्य निकल पाना भी मुश्किल हो रहा है। कारोबारी ने इसी दाम में प्याज खरीदी थी, अब इसी दाम में उसे बेचने की बजाए फेंकना पड़ रहा है। नरसिंहगढ़ मंडी के अनुसार वर्तमान में दो से 18 रुपए किलो का ही भाव चल रहा है। इससे पहले भाव 30 रु. किलो तक पहुंच गया था लेकिन पिछले माह ही या काम हो गया।
गर्मी के कारण नमी बैठी गर्मी को और तीखी धूप के कारण कमरों में पंखों के नीचे रखें प्याज में अचानक से नमी बैठ गई या नमी धीरे-धीरे बढ़ती गई और प्याज में सडन पकड़ ली। जिसके चलते वह खराब होने लगी। उसमें फफूंद आ गई, धीरे-धीरे वह बदबू मारने लगी फिर उसे फेंकना ही एक मजबूरी रह गया। ज्यादा दिन घर में रखने से उसमें स्थाई रूप से बदबू रह सकती है इसलिए किसान और संग्रहकर्ता उसे फेंकने पर ही विश्वास कर रहे हैं।
सहेजकर रखना पड़ता प्याज को अतिरिक्त सुविधा के साथ-सहेज कर रखना पड़ता है। कई बार काफी सावधानियां बरतने के बावजूद इसमें नमी आ जाती है कई बार मौसम का असर भी रहता है। इस बार लगभग बढ़ने की उम्मीद है।
- केएस गुर्जर, उप- संचालक, राजगढ़